Edited By Yaspal,Updated: 19 Jul, 2018 02:23 AM
सरकार ने अल्पसंख्यक बच्चों को प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और प्रतिभा के आधार पर दी जाने वाली छात्रवृत्तियों की अवधि दो साल के लिए बढ़ा दी है।
नई दिल्लीः सरकार ने अल्पसंख्यक बच्चों को प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और प्रतिभा के आधार पर दी जाने वाली छात्रवृत्तियों की अवधि दो साल के लिए बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि अब इन छात्रवृत्तियों की अवधि 2017-18 से बढ़ाकर 2019-20 कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि इस दौरान 70 लाख और बच्चों को छात्रवृत्ति मिलने की उम्मीद है और सरकारी खजाने के पर 5,338.32 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
अधिकतर छात्र मुस्लिम समुदाय से
प्रसाद ने बताया कि मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में एक करोड़ 66 लाख अल्पसंख्यक बच्चों को छात्रवृत्तियां दी जा चुकी हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे मुस्लिम समुदायों से हैं जबकि छात्रवृत्ति प्राप्त करने वालों में आधी लड़कियां हैं।
60 लाख बच्चों को दी गई छात्रवृत्ति
उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2017-18 में 35 लाख 60 हजार अल्पसंख्यक बच्चों को छात्रवृत्ति देने का लक्ष्य रखा था जबकि 60 लाख बच्चों को छात्रवृत्ति दी गयी है। इससे स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार के समय में ज्यादा अल्पसंख्यक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
योजनाओं की प्रमुख बातें-
- योजनाएं राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल (एनएसपी) के माध्यम से लागू की जाएंगी और छात्रवृतियों का वितरण प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीपी) रूप में किया जाएगा।
- लगभग 70 लाख छात्रवृतियां दी जाएंगी।
- छात्रवृतियां उन विद्यार्थियों को दी जाएंगी जिन्हें पहले की अंतिम परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त नहीं हुए हैं।
- विद्यार्थी सरकारी स्कूलों / संस्थानों या मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों / संस्थानों में अध्ययनरत होना चाहिए।
- 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य / समुदाय के अनुसार लक्ष्य / आवंटन।
- केवल नई छात्रवृत्तियों के लिए भौतिक लक्ष्य तय किए जाते हैं।
- नई छात्रवृत्तियों के अतिरिक्त छात्रवृत्तियों का नवीकरण भी किया जाता है। नवीकृत छात्रवृत्तियां वैसे विद्यार्थियों के लिए हैं जिन्होंने पहले के वर्षों में छात्रवृत्तियां प्राप्त की हैं और जो पात्रता मानक पूरा करते हैं।
- योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने (कक्षा 1 से 10) के लिए प्रेरित करना, स्कूली शिक्षा पर उनके वित्तीय बोझ को कम करनातथा उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा पूरी करने में उनके प्रयासों को समर्थन देना है।
- माता-पिता / अभिभावक की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- लक्ष्य – 30,00,000 नए आवेदकों के लिए
किस-किस कक्षा के लिए क्या-क्या योजना
मद
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पात्रताएं
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छात्रवृत्ति प्रवेश दर + ट्यूशन फीस
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कक्षा 6th से 10th तक प्रवेश शुल्क 500 रुपये प्रति वर्ष, यदि वास्तविक है (छात्रावासीय तथा दैनिक विद्यार्थी)
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कक्षा 6th से 10th तक ट्यूशन फीस 4200 रुपये प्रतिवर्ष, यदि वास्तविक है (छात्रावासीय तथा दैनिक विद्यार्थी)
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गुजारा भत्ता
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कक्षा 1st से 5th तक दैनिक विद्यार्थी के लिए 1000 रुपये प्रतिवर्ष
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कक्षा 6th से 10th (छात्रावासीय : 6000 रुपये प्रतिवर्ष) कक्षा 6th से 10th दैनिक विद्यार्थी) : 1000 रुपये प्रतिवर्ष
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मद
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पात्रता
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छात्रवृति प्रवेश दर + ट्यूशन फीस
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11th से 12th तक प्रवेश तथा ट्यूशन फीस 7000 रुपये प्रतिवर्ष, यदि वास्तिवक है (छात्रावासीय तथा दैनिक विद्यार्थी)
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11th तथा 12th स्तर के तकनीकी तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश तथा कोर्स / ट्यूशन फीस (1 या अधिक वर्ष के पाठ्यक्रम) : 10,000 रुपये प्रतिवर्ष, यदि वास्तविक हो (छात्रावासीय तथा दैनिक विद्यार्थी)
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एमफिल तथा पीएचडी सहित स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर के लिए प्रवेश तथा ट्यूशन फीस 3,000 रुपये प्रतिवर्ष, यदि वास्तविक है (छात्रावासीय तथा दैनिक विद्यार्थी)
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गुजारा भत्ता
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तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रम सहित कक्षा 11th तथा 12th के लिए छात्रावासी विद्यार्थी को 3,800 रुपये प्रतिवर्ष तथा दैनिक विद्यार्थी के लिए 2,300 रुपये प्रतिवर्ष
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स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर तकनीकी और पेशेवर पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त पाठ्यक्रमों के लिए छात्रावासीय विद्यार्थी को 5,700 रुपये प्रतिवर्ष तथा दैनिक विद्यार्थी को 3,000 रुपये प्रतिवर्ष
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एमफिल तथा पीचडी के लिए छात्रावासीय विद्यार्थी को 12,000 रुपये प्रतिवर्ष और दैनिक विद्यार्थी को 5,500 प्रतिवर्ष
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