नहीं रही एशिया की सबसे उम्रदराज 'दादी', 100 साल उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, देखें Video

Edited By Updated: 11 Jul, 2025 10:22 AM

mp s pride and the world s oldest elephant vatsala passed away

मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की शान और एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी 'वत्सला' का निधन हो गया है। लगभग 100 साल की वत्सला जिसे प्यार से 'दादी' भी कहा जाता था लंबे समय से बीमार चल रही थी। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद इस नामचीन हथिनी ने अपनी...

नेशनल डेस्क। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की शान और एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी 'वत्सला' का निधन हो गया है। लगभग 100 साल की वत्सला जिसे प्यार से 'दादी' भी कहा जाता था लंबे समय से बीमार चल रही थी। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद इस नामचीन हथिनी ने अपनी अंतिम सांसें लीं।

पन्ना टाइगर रिजर्व में हुआ अंतिम संस्कार

वत्सला की मौत की खबर मिलते ही पन्ना टाइगर रिजर्व के सभी वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुँच गए। बताया जा रहा है कि वत्सला का अंतिम संस्कार पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता कैंप में किया गया।

वत्सला को यूँ तो दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी माना जाता है लेकिन उनके सटीक जन्म का रिकॉर्ड उपलब्ध न होने के कारण उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा सका था। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने उनकी सटीक उम्र जानने के लिए दाँतों के सैंपल भी लैब में भेजे थे लेकिन उसका कोई निश्चित परिणाम नहीं निकला। फिर भी उनका नाम विश्व की सबसे उम्रदराज हाथियों में शामिल किया जाता रहा है।

 

केरल में जन्म, पन्ना बना घर और संरक्षक

एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला का जन्म केरल के नीलांबुर के जंगलों में हुआ था। 1971 में इस हथिनी को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम (तब होशंगाबाद) लाया गया था जहाँ वह 1993 तक रही। इसके बाद वत्सला का अगला और स्थायी घर पन्ना टाइगर रिजर्व बन गया।

 

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यहां शिफ्ट होने के बाद वत्सला यहीं रही और 2003 में उन्हें रिटायरमेंट भी दे दिया गया था। रिटायर होने के बाद वह पन्ना के हिनौता कैंप में रहकर हाथियों की देखरेख करती थी और हाथियों के एक कुनबे की मुखिया थीं जिसे उनका परिवार माना जाता था। उन्होंने यहां के हर हाथी का ख्याल रखा दूसरी हथिनियों के बच्चों की देखभाल की और हाथियों के नए बच्चों के समय भी सबका ध्यान रखती थीं।

बाघों की ट्रैकिंग में भी करती थी मदद

वत्सला सिर्फ एक बुजुर्ग हथिनी नहीं थीं बल्कि पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए उनकी सेवाएँ अमूल्य थीं। वह लगभग 10 सालों तक बाघों की ट्रैकिंग में भी मदद करती रही थीं। 2003 में रिटायर होने के बाद भी वह लगातार हाथियों के बच्चों की देखभाल करती रहीं और नए हाथियों को ज़रूरी गुर सिखाने का काम भी करती थीं। वत्सला का स्वभाव बेहद शांत था और वह कभी गुस्सा नहीं करती थीं।

 

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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जताया दुख

वत्सला के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी गहरा दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर लिखा, "'वत्सला' का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। पन्ना टाइगर रिजर्व में दोपहर 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली। वह मात्र हथिनी नहीं थी हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थीं। टाइगर रिजर्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आँखों में अनुभवों का सागर और अस्तित्व में आत्मीयता लिए रहीं। उसने कैंप के हाथियों के दल का नेतृत्व किया और नानी-दादी बनकर हाथी के बच्चों की स्नेहपूर्वक देखभाल भी की। वह आज हमारे बीच नहीं है पर उसकी स्मृतियाँ हमारी माटी और मन में सदा जीवित रहेंगी। 'वत्सला' को विनम्र श्रद्धांजलि!"

वत्सला का निधन पन्ना टाइगर रिजर्व और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक बड़ी क्षति है क्योंकि उन्होंने कई दशकों तक वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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