लालकिले के लाहौरी गेट पर लगीं मुगलकालीन तोपें

Edited By Pardeep,Updated: 09 Aug, 2019 04:52 AM

mughal artillery started at lahori gate of red fort

अब जब आप लालकिला घूमने जाएंगे तो आपको लाहौरी गेट के सामने दो तोपें भी देखने को मिलेंगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों का कहना है कि ये दोनों तोपें लाहौरी गेट के सामने जमीन में धंसी हुईं थीं, जिन्हें साल 2018 अगस्त में बाहर निकाला...

नई दिल्ली: अब जब आप लालकिला घूमने जाएंगे तो आपको लाहौरी गेट के सामने दो तोपें भी देखने को मिलेंगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों का कहना है कि ये दोनों तोपें लाहौरी गेट के सामने जमीन में धंसी हुईं थीं, जिन्हें साल 2018 अगस्त में बाहर निकाला गया। जब तारकोल से बनी सड़क की खुदाई कर वहां लाल बलुआ ईंटों को बिछाकर सड़क बनाए जाने का काम चल रहा था। 

फिलहाल इन तोपों को देखने के लिए अभी पर्यटकों को 15 अगस्त के बीतने का इंतजार करना होगा। दिल्ली सर्किल के निदेशक एन.के. पाठक ने बताया कि यह दोनों तोपें 80 प्रतिशत तक जमीन में धंसी हुईं थीं। इन दोनों तोपों को जमीन से निकालकर केमिकल ट्रीटमेंट किया गया और उसके बाद इसकी कोटिंग की गई ताकि उसे संरक्षित किया जा सके। काफी लंबे समय से जमीन के अंदर धंसे होने की वजह से उसकी स्थिति काफी हद तक खराब थी, जिसके चलते सबसे पहले सही तरीके से उसका संरक्षण करना अनिवार्य था। 

एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि पहले ये दोनों तोपें जमीन से सिर्फ 1 फुट ऊपर दिखाई देती थीं, जिन्हें देखने से लगता था कि ये तोपें 3-5 फुट की होंगी लेकिन जब इन्हें बाहर निकाला गया तो पता चला कि इनकी ऊंचाई 12 फुट के करीब है और वजन एक तोप का करीब 6 से 8 टन के लगभग है। इसे उठाने के लिए बकायदा जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल भी करना पड़ा था। फिलहाल दोनों तोपों को लाहौरी गेट के सामने स्टैंड पर रखा गया है, लालकिले में पहली बार तोपें रखीं गईं है। 

क्या कहते हैं अधिकारी
एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन तोपों में से एक पर 1827 लिखा हुआ है जबकि दूसरी तोप पर कोई भी वर्ष अंकित नहीं है। लालकिले में 1857 के बाद ब्रिटिश सेना ने कब्जा किया था ऐसे में हो सकता है कि ये तोपें मुगलकालीन हों। लेकिन खुदाई में मिली दोनों ही तोपों के ऊपरी सतह पर क्राउन अंकित है, इसलिए अंग्रेजों द्वारा लाई गई भी हो सकती हैं। इसलिए यह तोपें कब की हैं इसकी सही जानकारी एजिंग के बाद ही पता चल सकती है। 

आखिर कब की हैं तोपें
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि ये तोपें मुगलकालीन हैं क्योंकि ब्रिटिश तोपें 6 से 8 फुट की होती थीं और उनकी टेक्नोलॉजी यहां मिली तोपों से ज्यादा उन्नत होती थीं। साथ ही ब्रिटिश तोपों का वजन भी कम होता था जिससे वो आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाईं जा सकती थीं।

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