भारत के सबसे प्रदूषित शहर कौन से? हर साल आपकी उम्र क्यों हो रही है कम, जानिए वजह

Edited By Updated: 30 Jun, 2025 04:29 PM

india s most polluted cities 2024 impact of air pollution on life

भारत में वायु प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय चुनौती नहीं रह गया है, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। तेजी से बढ़ती औद्योगीकरण, बढ़ते वाहनों की संख्या, पराली जलाने जैसे कुदरती और मानवजनित कारणों ने हवा को इतनी जहरीली बना दिया है...

नेशनल डेस्क: भारत में वायु प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय चुनौती नहीं रह गया है, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। तेजी से बढ़ती औद्योगीकरण, बढ़ते वाहनों की संख्या, पराली जलाने जैसे कुदरती और मानवजनित कारणों ने हवा को इतनी जहरीली बना दिया है कि हर साल लाखों लोगों की जान इसका शिकार हो रही है। यदि इस समस्या पर तुरंत और ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल पर्यावरण बल्कि हमारे स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर भी गहरा असर डालेगा। वास्तव में भारत में वायु प्रदूषण अब सिर्फ एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन चुका है। दुनिया भर में छपी एक नई रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। साल 2024 की आईक्यूएयर विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 6 भारत में हैं, जबकि 20 में से 13 शहर भारतीय हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि असम का बर्नीहाट इस सूची में शीर्ष पर है।

भारत की वायु अब जानलेवा क्यों बन रही है?

भारत में वायु प्रदूषण अब एक गंभीर और जानलेवा समस्या बन चुका है, जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य और जीवनकाल पर पड़ रहा है। इस खतरनाक स्थिति के पीछे कई प्रमुख कारण हैं जो मिलकर हवा को जहरीली बना रहे हैं। सबसे पहला और अहम कारण है वाहनों से निकलने वाला धुआं। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों में भारी ट्रैफिक जाम आम हो गया है, जिससे लगातार नाइट्रोजन ऑक्साइड और खतरनाक PM2.5 कण वातावरण में घुलते रहते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि सीधे फेफड़ों में पहुंचकर सांस की बीमारियों और दिल के रोगों का कारण बनते हैं। दूसरा बड़ा कारण है औद्योगिक उत्सर्जन। फरीदाबाद और हापुड़ जैसे औद्योगिक शहरों में कई फैक्ट्रियां हैं जो बिना किसी कड़े नियंत्रण के लगातार हानिकारक धुआं और रसायन हवा में छोड़ रही हैं। इसके साथ ही, निर्माण कार्य भी प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। नोएडा, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में चल रहे बड़े-बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स से निकलने वाली धूल और कण पदार्थ वातावरण को दूषित कर रहे हैं, जो खासकर शुष्क मौसम में ज्यादा नुकसानदायक होते हैं। इसके अलावा, पराली जलाना भी वायु प्रदूषण में मौसमी बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसान फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष को जलाते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में टॉक्सिन और धुआं वातावरण में फैलता है। वहीं त्योहारों के दौरान जलाए जाने वाले पटाखे भी स्थिति को और गंभीर बना देते हैं। खासकर दीपावली जैसे त्योहारों में, पटाखों से निकलने वाला धुआं हवा की गुणवत्ता को बेहद खराब कर देता है और यह प्रभाव कई दिनों तक बना रहता है।

इन सभी कारणों का मिलाजुला असर यह है कि भारत की हवा अब इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित होकर बीमार पड़ते हैं या उनकी असमय मृत्यु हो जाती है। यह एक ऐसा संकट बन चुका है जिसे नजरअंदाज करना अब मुमकिन नहीं।

आईक्यूएयर रिपोर्ट 2024: भारत की स्थिति

आईक्यूएयर रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में PM2.5 कणों की सांद्रता में भले ही 7% की कमी आई है, फिर भी यह स्तर 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर बना हुआ है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अनुशंसित सीमा 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से लगभग दस गुना अधिक है। पिछले साल 2023 में यह आंकड़ा 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। राजधानी दिल्ली में PM2.5 का औसत 91.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है, जो काफी उच्च स्तर का प्रदूषण दर्शाता है। इसके अलावा, भारत अब दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश बन चुका है, जबकि 2023 में यह तीसरे स्थान पर था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विश्व के शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में से 13 भारतीय शहर शामिल हैं, जो देश में वायु प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाता है।

भारत के टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहर (2024 में)

  1. बर्नीहाट (असम) – सबसे प्रदूषित शहर

  2. दिल्ली – सबसे प्रदूषित राजधानी

  3. मुल्लांपुर (पंजाब)

  4. फरीदाबाद (हरियाणा)

  5. लोनी (उत्तर प्रदेश)

  6. नोएडा (उत्तर प्रदेश)

  7. गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

  8. भिवाड़ी (राजस्थान)

  9. ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

  10. गुरुग्राम (हरियाणा)

क्या है PM2.5 और यह इतना खतरनाक क्यों है?

PM2.5 का अर्थ ऐसे वायु प्रदूषण कण होते हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोन से भी छोटा होता है। ये कण अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण फेफड़ों में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं और यहां तक कि रक्तप्रवाह में भी शामिल हो सकते हैं। इससे सांस से जुड़ी बीमारियां, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। PM2.5 के मुख्य स्रोतों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, कारखानों से उत्सर्जन, फसल जलाना, डीज़ल जनरेटर और पटाखे शामिल हैं, जो वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होते हैं।

प्रदूषण से घटती जीवन की उम्र

लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2009 से 2019 के बीच हर साल करीब 15 लाख लोग बहुत छोटे प्रदूषित कणों (PM 2.5) की वजह से बीमार होकर मर गए। वायु प्रदूषण के कारण भारतीयों की औसत जीवन अवधि में लगभग 5.2 वर्ष की कमी आई है। केवल 2019 में ही वायु प्रदूषण से 2.3 मिलियन यानी 23 लाख अकाल मौतें हुईं, जो इस गंभीर समस्या की व्यापकता और इसके मानव जीवन पर होने वाले घातक प्रभाव को दर्शाती हैं।

सरकार और न्यायपालिका की कोशिशें

सरकार और न्यायपालिका प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर जुर्माना लगाने और कारावास तक की सख्त चेतावनी जारी की है। इसके अलावा, कुछ राज्यों ने पटाखों पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगाया है, हालांकि इन नियमों का प्रवर्तन अभी कमजोर पाया गया है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए ग्रीन जोन बनाना, ऑड-ईवन स्कीम लागू करना और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की नियमित ट्रैकिंग जैसे उपाय अपनाए गए हैं।

क्या है समाधान?

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (WHO की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक) के अनुसार प्रदूषण को कम करने के लिए बायोमास जलाने की बजाय एलपीजी का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए और खासकर गरीब तथा ग्रामीण परिवारों के लिए सब्सिडी को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके साथ ही, सार्वजनिक परिवहन जैसे मेट्रो, बसें और ई-रिक्शा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि निजी वाहनों की संख्या कम हो सके। उद्योगों को उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण लगाना अनिवार्य होना चाहिए, और प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रोत्साहन और दंड दोनों का उपयोग करना जरूरी है। साथ ही, कंस्ट्रक्शन साइट्स पर भी कड़ी निगरानी और डस्ट कंट्रोल के उपाय अपनाने होंगे ताकि धूल प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

क्या आप सुरक्षित हैं? ऐसे करें बचाव

वायु प्रदूषण से बचाव के लिए N95 मास्क पहनना आवश्यक है, खासकर जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से ऊपर हो। इसके साथ ही, घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना फायदेमंद रहता है। प्रदूषित हवा से बचने के लिए सुबह-सुबह या देर शाम बाहर निकलने से बचना चाहिए। घरों में मनी प्लांट, स्नेक प्लांट जैसे पौधे लगाने से भी वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि वे वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

भारत जैसे देश में जहां विकास की रफ्तार तेज है, वहीं पर्यावरणीय चिंताएं भी उसी गति से बढ़ रही हैं। वायु प्रदूषण एक "साइलेंट किलर" की तरह काम कर रहा है, जो हमारी उम्र को हर साल धीरे-धीरे काट रहा है। अब समय है कि हम केवल आंकड़े इकट्ठा करने तक सीमित न रहें, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करें सरकार, उद्योग और आम जनता, सभी की जिम्मेदारी है।

 

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