दाल में अब नहीं होगी विदेशी निर्भरता: मोदी सरकार का मास्टरप्लान, 2030 तक भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर बनेगा

Edited By Updated: 01 Oct, 2025 10:45 PM

no more foreign dependence on pulses modi government s masterplan

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उपभोक्ता देश है। लेकिन इतनी बड़ी खपत होने के बावजूद देश को अपनी जरूरत का करीब 15-20 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात करना पड़ता है। इसका असर न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, बल्कि किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ता...

नेशनल डेस्कः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 11,440 करोड़ रुपये के व्यय वाली छह वर्षीय केंद्रीय योजना को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन'' को मंजूरी दी। इस योजना की अवधि 2025-26 से 2030-31 तक होगी।

यह मिशन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2025-26 के बजट में की गई घोषणा के अनुरूप है। दलहन मिशन विशेष रूप से अरहर, उड़द और मसूर के उत्पादन को बढ़ाने पर केंद्रित होगा, जिसमें सरकारी एजेंसियों, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के जरिये पंजीकृत किसानों से सुनिश्चित खरीद की जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ''हम छह साल के लिए दलहन पर एक मिशन शुरू करने जा रहे हैं। इसके तहत कई पहल की जाएंगी।''

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस मिशन के तहत सरकार ने 2023-24 में 242 लाख टन दलहन उत्पादन को 2030-32 तक बढ़ाकर 350 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है। दलहन की खेती का रकबा 242 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा, जबकि उपज को 881 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। यह पहल ऐसे समय में की जा रही है, जब दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता देश भारत इस फसल के बढ़ते आयात से जूझ रहा है। बढ़ती आय और जीवन स्तर में सुधार के कारण घरेलू मांग तेजी से बढ़ रही है, जबकि उत्पादन उस गति से नहीं बढ़ रहा। इस कारण हाल के वर्षों में दलहन के आयात में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इस मिशन को 416 विशेष जिलों में संकुल आधारित नजरिये के माध्यम से लागू किया जाएगा। इसके तहत लगभग 1,000 नई पैकेजिंग और प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इनमें प्रसंस्करण और पैकेजिंग सुविधाएं स्थापित करने के लिए अधिकतम 25 लाख रुपये की सब्सिडी उपलब्ध होगी। उत्पादकता में सुधार के लिए, दालों की ऐसी नई किस्मों के विकास और प्रसार पर जोर दिया जाएगा, जो अधिक उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-प्रतिरोधी हों। सरकार 2030-31 तक दलहन उत्पादक किसानों को 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित करेगी, जो 370 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगा।

राज्य बीज उत्पादन योजनाएं तैयार करेंगे, जिसमें प्रजनक बीज उत्पादन की निगरानी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) करेगी। इस मिशन की एक प्रमुख विशेषता प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत अरहर, उड़द और मसूर की सुनिश्चित खरीद है। नेफेड और एनसीसीएफ अगले चार वर्षों तक भागीदार राज्यों में उन किसानों से 100 प्रतिशत खरीद करेंगे, जो इन एजेंसियों के साथ पंजीकरण कराएंगे। यह मिशन मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने और किसानों के विश्वास की रक्षा के लिए वैश्विक दलहन कीमतों की निगरानी हेतु एक तंत्र भी स्थापित करेगा। सरकार खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने सहित मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। भा

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