पहलगाम आतंकी हमला: विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी, कहा- अब परमाणु ब्लैकमेल से नहीं रुकेगा भारत

Edited By Updated: 01 Jul, 2025 10:43 AM

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर पाकिस्तान और उसकी पनाह में छिपे बैठे दहशतगर्दों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा और पाकिस्तान का परमाणु ब्लैकमेल भी उसे रोक नहीं...

नेशनल डेस्क। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर पाकिस्तान और उसकी पनाह में छिपे बैठे दहशतगर्दों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा और पाकिस्तान का परमाणु ब्लैकमेल भी उसे रोक नहीं पाएगा। जयशंकर की यह टिप्पणी न्यूयॉर्क के मुख्यालय में आयोजित एक बातचीत के दौरान आई।

 

पहलगाम हमला: आर्थिक युद्ध और धार्मिक हिंसा की साजिश

जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) को एक सोची-समझी साजिश बताया। उन्होंने कहा, पहलगाम आतंकी हमला कश्मीर में पर्यटन को तबाह करने का एक आर्थिक युद्ध था जो वहाँ की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इसका मकसद धार्मिक हिंसा को भड़काना भी था क्योंकि लोगों को मारने से पहले उनके धर्म के बारे में पूछा गया।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, हमने तय किया कि हम आतंकवादियों को सज़ा के डर से आज़ाद होकर साजिश रचने नहीं दे सकते। यह विचार कि वे सीमा के उस तरफ हैं और इसलिए हम बदला नहीं ले सकते मुझे लगता है कि यह एक ऐसी चीज़ थी जिसे चुनौती देने की बहुत ज़रूरत थी और हमने यही किया।

 

'ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने

जयशंकर ने बताया कि भारत के खिलाफ हमले करने वाले आतंकवादी संगठन पाकिस्तान में छिपकर काम नहीं करते बल्कि उनके पाकिस्तान के आबादी वाले शहरों में कॉर्पोरेट मुख्यालय जैसे ढांचे हैं। उन्होंने कहा, हर कोई जानता है कि संगठन ए और संगठन बी का मुख्यालय क्या है कहाँ हैं। ये वे इमारतें या मुख्यालय थे जिन्हें भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में मिट्टी में मिला दिया।

ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाने के लिए शुरू किया गया था जिसका मकसद पहलगाम हमले का बदला लेना था। इस आतंकी हमले में 26 नागरिकों की निर्मम हत्या कर दी गई थी जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली थी।

 

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आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस: 'हम गोली का जवाब गोले से देंगे'

विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में साफ किया कि, हम बहुत स्पष्ट हैं कि आतंकवादियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें ज़रा सी भी राहत नहीं दी जाएगी। उन पर कोई रहम नहीं बरता जाएगा। हम अब उन्हें प्रॉक्सी मानकर व्यवहार नहीं करेंगे। हम उस सरकार को भी नहीं बख्शेंगे जो उनका समर्थन और वित्तपोषण करती है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा आतंकवाद को प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल किया है लेकिन अब भारत हर आतंकी घटना को युद्ध की कार्रवाई मानेगा। जयशंकर ने दर्शकों की तालियों के बीच कहा, अब हम उसके झांसे में नहीं आने वाले हैं। अगर वह आकर कुछ करने वाला है तो हम वहाँ जाएँगे और उन लोगों पर भी हमला करेंगे जिन्होंने ऐसा किया है। इसलिए परमाणु ब्लैकमेल के आगे झुकना नहीं है आतंकवादियों को कोई छूट नहीं है उन्हें छद्म कहने की कोई छूट नहीं है। हम अपने लोगों की रक्षा के लिए जो करना है करेंगे।

 

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील

संयुक्त राष्ट्र में आयोजित एक प्रदर्शनी का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि आतंकवाद वास्तव में सभी के लिए खतरा है और किसी भी देश को इसे अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के साधन के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि अंत में यह सभी को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया को यह संदेश दिया जाना चाहिए कि आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए, ऐसी कोई परिस्थिति, कोई बहाना, कोई औचित्य नहीं होना चाहिए जिससे कोई देश आतंकवादी कृत्यों की अनुमति दे उनका समर्थन करे उन्हें वित्तपोषित करे या प्रायोजित करे।

 

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भारत का लंबा संघर्ष: 1947 से जारी है आतंकवाद का सामना

जयशंकर ने याद दिलाया कि भारत कई दशकों से पाकिस्तान के आतंकवाद से निपट रहा है जिसकी शुरुआत वास्तव में 1947 में देश की आज़ादी के समय से ही हो गई थी जब कुछ ही महीनों के भीतर आतंकवादियों को कश्मीर में भेजा गया और उन्हें छद्म आक्रमणकारी बताया गया। उन्होंने 2001 के संसद हमले और 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों का जिक्र करते हुए कहा, और फिर जल्द ही पाकिस्तानी सेना ने भी ऐसा ही किया। इसलिए हमने पिछले चार दशकों से आतंकवाद से बहुत गहनता से लड़ाई लड़ी है और हमारे सामने कुछ भयानक मामले भी आए हैं।

 

ट्रंप के दावे पर जयशंकर का जवाब

बातचीत के बाद जयशंकर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे के बारे में पूछा गया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को रोकने के लिए व्यापार का इस्तेमाल किया और क्या इससे दिल्ली और वाशिंगटन के बीच व्यापार वार्ता प्रभावित हुई? जयशंकर ने कहा, नहीं मुझे ऐसा नहीं लगता। मुझे लगता है कि व्यापार से जुड़े लोग वही कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए। वे बहुत पेशेवर और इस बारे में बहुत ही स्पष्ट हैं।

उन्होंने आगे कहा, भारत में इस बात पर राष्ट्रीय सहमति है कि पाकिस्तान के साथ हमारा व्यवहार द्विपक्षीय है। इस विशेष मामले में मैं आपको बता सकता हूँ कि मैं उस कमरे में था जब उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी और कहा था कि अगर हमने कुछ बातें नहीं मानीं तो पाकिस्तान भारत पर बहुत बड़ा हमला करेगा। प्रधानमंत्री पाकिस्तान की धमकियों को लेकर स्पष्ट थे। उन्होंने साफ कहा कि हमारी ओर से जवाब दिया जाएगा। हम गोली का जवाब गोले से देंगे। फिर रात में पाकिस्तानियों ने बड़े पैमाने पर हमला किया हमने उसके बाद बहुत तेज़ी से और जोरदार जवाब दिया। अगली सुबह विदेश सचिव मार्को रुबियो ने मुझे फोन किया और कहा कि पाकिस्तानी बातचीत के लिए तैयार है। इसलिए मैं आपको केवल अपने व्यक्तिगत अनुभव से बता सकता हूँ कि क्या हुआ। बाकी मैं आप पर छोड़ता हूँ।

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