यमुना और गंगा के बीच की भूमि पर राजवंश के आधार पर दावा जताने संबंधी खारिज हुई याचिका

Edited By Radhika,Updated: 14 Mar, 2024 06:28 PM

petition regarding claim on the land between yamuna and ganga rejected

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगरा से लेकर मेरठ तथा दिल्ली, गुरुग्राम और उत्तराखंड की 65 राजस्व संपदाओं सहित अन्य स्थानों पर यमुना और गंगा के बीच की भूमि पर स्वामित्व का दावा करने वाले एक व्यक्ति की याचिका बृहस्पतिवार को एक लाख रुपये की लागत के साथ खारिज...

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगरा से लेकर मेरठ तथा दिल्ली, गुरुग्राम और उत्तराखंड की 65 राजस्व संपदाओं सहित अन्य स्थानों पर यमुना और गंगा के बीच की भूमि पर स्वामित्व का दावा करने वाले एक व्यक्ति की याचिका बृहस्पतिवार को एक लाख रुपये की लागत के साथ खारिज कर दी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्ववर्ती राजा के उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सिंह ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार करने वाले एकल-न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी।

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पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता आजादी के 78 साल बाद इस तरह का दावा नहीं कर सकता। एकल पीठ ने दिसंबर में सिंह की याचिका 10,000 रुपये की लागत के साथ खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ता ने अपील में दावा किया कि संयुक्त प्रांत आगरा के ‘‘बेसवां परिवार की रियासत'' के अंतर्गत आने वाली भूमि पर उनका हक है और चूंकि उनके पूर्वजों और भारत सरकार के बीच कोई अधिग्रहण समझौता नहीं हुआ था, इसलिए क्षेत्र पर भारत संघ का नियंत्रण एक अतिक्रमण है। पीठ ने कहा, ‘‘यह अदालत एकल न्यायाधीश के इस विचार से सहमत है कि अपीलकर्ता द्वारा उठाए गए दावे पर रिट कार्यवाही में फैसला नहीं सुनाया जा सकता है।''

 

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