बयानों से हलचल मचाने वालीं भाजपा नेत्रियां सियासी दुनिया से ओझल, कोई तवज्जो न मिलने से खफा तो कोई...

Edited By Parminder Kaur,Updated: 29 Apr, 2024 11:15 AM

bjp leaders who created stir with their statements disappear from politics

सूबे का सियासी चढ़ता जा रहा है। दलों ने नेताओं ने जीत हासिल करने पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन इसी सियासी सरगर्मी से प्रदेश भाजपा की उन नेत्रियों ने दूरी बना रखी है, जो कभी अपने बयानों से सुर्खियों में रहती थीं। समय का पहिया घूमा और ये नेत्रियां...

नेशनल डेस्क. सूबे का सियासी चढ़ता जा रहा है। दलों ने नेताओं ने जीत हासिल करने पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन इसी सियासी सरगर्मी से प्रदेश भाजपा की उन नेत्रियों ने दूरी बना रखी है, जो कभी अपने बयानों से सुर्खियों में रहती थीं। समय का पहिया घूमा और ये नेत्रियां हाशिए पर आ गई। कोई तवज्जो नहीं मिलने से खफा है तो कोई टिकट कटने से नाराज। इन्होंने पार्टी और प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार से भी दूरी बना ली है। जानिए ऐसी ही चार खास भाजपा नेत्रियों के बारे में।


उत्तराखंड में सुकून की तलाश

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पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की फापरखांड नेता उमा भारती अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में बनी रहती हैं। वे विरोधियों के साथ-साथ अपनी पार्टी के नेताओं को भी आईना दिखाने से नहीं चूकतीं। अब जब प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दो चरण हो चुके हैं। दो चरण और बाकी हैं। ऐसे वक्त में उमा पार्टी के चुनाव प्रचार से बिल्कुल दूर है। वे इन दिनों अपना ज्यादातर समय उत्तराखंड में बिता रही हैं।


टिकट कटने के बाद से गायब

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2019 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल से सांसद का चुनाव लड़कर जीतने वालों प्रज्ञा सिंह को इस बार टिकट नहीं मिला। टिकट कटने के कुछ दिन तक उनके बयान सामने आए। उसके बाद से सियासी परिदृश्य से गायब नजर आ रही हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि सांसद होने के नाते उन्हें क्षेत्र में उतरना चाहिए, लेकिन साध्वी नजर नहीं आ रही है। चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं।


प्रचार-प्रसार से लगातार दूर

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शिवराज सरकार में मंत्री रहीं यशोधरा राजे सिंधिया लोकसभा चुनाव से दूर हैं। वे पार्टी का प्रचार भी नहीं कर रहीं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट की पड़ताल में पता चला कि वे सिर्फ भाजपा से जुड़ी पोस्ट को शेयर कर रही है। बाकी उनकी क्षेत्र में कोई गतिविधि नजर नहीं आ रही। बता दें विधानसभा चुनाव में उन्होंने स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।


पार्टी से नहीं मिल रही तवज्जो 

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पूर्व मंत्री और भाजपा की कदावर नेत्रियों में शुमार रहीं कुसुम मेहदेले भी प्रचार-प्रसार से दूर हैं। मेहदेले अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती थीं। पिछले कुछ समय से पार्टी में तवज्जो नहीं मिलने से नाराज हैं। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला को लेकर लिखा था कि मंत्री बनने के बाद ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए। उन्होंने शुक्ला को कई बार फोन लगाया था, लेकिन शुक्ला से बात नहीं हो सकी।

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