समय से पूर्व फसलों की कटाई, कोरोना के कारण मजदूरों का न होना बना प्रदूषण की वजह

Edited By Yaspal,Updated: 17 Oct, 2020 06:07 PM

premature harvesting of crops laborers due to corona caused pollution

पंजाब और हरियाणा ने पिछले साल की तुलना में इस मौसम में पराली जलाने की अधिक घटनाएं दर्ज की हैं। धान की फसल की समय पूर्व कटाई और कोराना वायरस महामारी के कारण खेत मजदूरों की अनुपलब्धता के चलते ऐसा हुआ है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। पंजाब...

नई दिल्लीः पंजाब और हरियाणा ने पिछले साल की तुलना में इस मौसम में पराली जलाने की अधिक घटनाएं दर्ज की हैं। धान की फसल की समय पूर्व कटाई और कोराना वायरस महामारी के कारण खेत मजदूरों की अनुपलब्धता के चलते ऐसा हुआ है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक राज्य में इस मौमस में अब तक खेतों में (पराली जलाने के लिये) आग लगाये जाने की 4,585 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ऐसी 1,631 घटनाएं दर्ज की गई थी। हरियाणा में भी इस तरह की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल 16 अक्टूबर तक ऐसी करीब 1,200 घटनाएं हुयी थीं, जबकि इस साल यह संख्या 2,016 रही।।

हालांकि, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव करूणेश गर्ग ने कहा कि इस साल धान की फसल की समय पूर्व कटाई के चलते पराली जलाए जाने की घटनाओं की संख्या अधिक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल 15 अक्टूबर तक करीब 17 लाख मीट्रिक टन धान (के फसल की) की कटाई हुई थी। इस साल, यह आंकड़ा करीब 40 लाख मीट्रिक टन है। इससे यह जाहिर होता है कि किसानों ने इस साल समय से पहले अपने फसल की कटाई कर ली है। '' गर्ग ने कहा कि पिछले साल मॉनसून का मौसम सितंबर के अंत तक जारी रहा था, जिसके चलते धान की कटाई में देर हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता के लिये पंजाब को जिम्मेदार ठहराना गलत है।

उल्लेखनीय है कि इस हफ्ते की शुरूआत में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पंजाब को पराली जलाये जाने पर नियंत्रण करने को कहा था। राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में पहुंचने के बाद उन्होंने यह कहा था। गर्ग ने कहा, ‘‘दिल्ली के प्रदूषण के लिये पंजाब में पराली जलाया जाना एक कारण हो सकता है लेकिन यह एक प्रतिशत से भी कम जिम्मेदार है। '' हरियाणा सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य के खेतों में आग लगाये जाने की घटनाओं की संख्या पिछले साल की तुलना में निश्चित रूप से बढ़ी है। इसके लिये कोविड-19 के कारण खेत मजदूरों की अनुपलब्धता वजह हो सकती है।

हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एस नारायण ने कहा, ‘‘ (खेतों में पराली जलाने के लिये) आग लगाने की ज्यादातर घटनाएं सिरसा, फतेहाबाद और कैथल में हुई हैं। प्रशासन उन इलाकों में पराली जलाने पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा पाया है। कोशिशें जारी हैं। '' वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) ने दिल्ली में शनिवार को ‘पीएम 2.5' (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कण) की मात्रा करीब 19 रहने का अनुमान लगाया है। शुक्रवार को यह 18 और बृहस्पतिवार को छह थी।

 

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