राफेल डील विवाद : पिक्चर अभी बाकी है दोस्त !

Edited By Yaspal,Updated: 13 Nov, 2018 10:11 PM

25 जनवरी 2016 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेस कांफ्रेंस में राफेल डील के बारे में देश को बताया । 2007 में 126 लड़ाकू विमानों की ज़रुरत महसूस की गई लेकिन 2016 तक आते-आते यह ज़रुरत 36 लड़ाकू...

नई दिल्लीः (मनीष शर्मा) 25 जनवरी 2016 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेस कांफ्रेंस में राफेल डील के बारे में देश को बताया । 2007 में 126 लड़ाकू विमानों की ज़रुरत महसूस की गई लेकिन 2016 तक आते-आते यह ज़रुरत 36 लड़ाकू विमानों तक ही सीमित रह गई। 2019 में भारत को राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप मिलेगी लेकिन पहली खेप मिलने से पहले ही यह यह डील विवादों में घिर गई है। कांग्रेस पार्टी लगातार दावा करती आ रही है कि इस डील में सरकार ने अनिल अंबानी की  कंपनी को फायदा पहुंचाया है। आज फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने राफेल मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया। सुप्रीम कोर्ट में मोदीजी ने मानी अपनी चोरी। हलफ़नामे में माना कि उन्होंने बिना वायुसेना से पूछे कांट्रैक्ट बदला और 30,000 करोड़ रूपया अंबानी की जेब में डाला। पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त..."

दरअसल सोमवार को मोदी सरकार ने राफेल जहाज़ खरीदने के विवरण से संबंधित दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट को सौंपे थे। राफेल डील में अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के कांग्रेस के आरोप का खंडन भारत और फ्रेंच सरकार के साथ- साथ राफेल जहाज़ बनाने वाली कंपनी दस्सो एविएशन भी करती आई है। दस्सो एविएशन कंपनी के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने आज फिर राफेल डील को लेकर कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया। 

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अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस के साथ समझौता करने का फैसला मेरा अपना था। HAL ऑफसेट पार्टनर नहीं बनना चाहती थी। सच वही है जो मैंने पहले कहा है, मेरी झूठ बोलने की आदत नहीं है। मेरे जैसे सीईओ के पद पर बैठकर आप झूठ नहीं बोलते हैं।" लेकिन इस साल 21 सितम्बर को पूर्व फ़्रांसिसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद  ने फ्रेंच वेबसाइट 'मीडियापार्ट'   को दिए इंटरव्यू में कहा था कि भारत सरकार के कहने पर रिलायंस के साथ दस्सो को पार्टनरशिप करनी पड़ी। अनिल अंबानी की कंपनी को दस्सो ने नहीं चुना था। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। भारत सरकार ने जो भागिदार दिया हमें उसे स्वीकार करना पड़ा।"

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आपको बता दें, जिस समय भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील हुई थी उस समय फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ही थे। हालांकि बाद में फ्रांस्वा ओलांद अपने इस खुलासे से मुकर गए। वैसे इस डील से भारत को कितना फायदा होगा इसका अभी कोई अनुमान नहीं है। लेकिन रिलायंस को पार्टनर बनाकर फ्रांस्वा ओलांद और दस्सो को फायदा ज़रूर पहुंचा है।

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रिलायंस और ओलांद की गर्लफ्रेंड का कनेक्शन

31 अगस्त 2018 में इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल डील से ठीक एक दिन पहले मतलब 24 जनवरी 2016 को ओलांद की गर्लफ्रेंड जूली जूली गेयेट और अनिल अंबानी के रिलायंस एंटरटेनमेंट के बीच एक फिल्म प्रोड्यूस करने का एग्रीमेंट हुआ था। ओलांद की पार्टनर जूली गेयेट की फर्म Rouge International (रूज़ इंटरनेशनल) और रिलायंस एंटरटेनमेंट ने मिलकर Tout La-Haut फिल्म का निर्माण किया था।

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रिलायंस की मदद से दस्सो एविएशन की हुई भारत बाजार में एंट्री

दस्सॉ की एनुअल रिपोर्ट 2017 देखने से साफ़ पता चलता है कि रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर लिमिटेड के साथ भागीदारी करके दस्सो को फायदा हुआ है। कंपनी की 2017 की  रिपोर्ट के मुताबिक, "2017 में, हमने रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर्स लिमिटेड में 35% हिस्सेदारी के अधिग्रहण के माध्यम से भारत में अपनी उपस्थिति को और भी  मजबूत किया है। रिलायंस भारत में हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे के प्रबंधन और विकास में काम करता है।"

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पूर्व फ़्रांसिसी राष्ट्रपति ओलांद की गर्लफ्रेंड की फिल्म 2017 में रिलीज़ हो कर हिट हो गई है इसलिए  राफेल डील पर बोलने से उनको कोई नुक्सान नहीं होगा लेकिन दस्सो और फ्रेंच सरकार  को तो भारत से मुनाफा कमाना है इसलिए दोनों ने राहुल गाँधी के आरोपों का  खंडन किया है। 10 अक्टूबर को दस्सो एविएशन ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कह चुकी है कि रिलायंस के साथ जुड़ना कंपनी का फैसला था। अगर फ्रांस और दैसॉ को रिलायंस के साथ जुड़ कर फायदा हुआ है तो अनिल अंबानी की कंपनी को भी फायदा ज़रूर हुआ होगा। बिज़नेस तो ऐसा ही होता है।  मगर सवाल यह उठता है कि इनके फायदा के भुगतान की रसीद क्या हम लोगों के पैसे से कटेगी ? 

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