नजरिया: अकबर भी गया और इलाहाबाद भी, अब पढ़िए नई "आइन-ए-अकबरी"

Edited By vasudha,Updated: 18 Oct, 2018 05:08 PM

read new ain e akbari after akbar resign

हिज़री 1006 यानी 1598 में जब अबुल फ़ज़ल ने फारसी में आइन-ए-अकबरी लिखी थी तब उन्होंने वही लिखा जो अकबर चाहते थे। आइन-ए-अकबरी वास्तव में बादशाह अकबर पर लिखे गए अकबरनामा का हिस्सा है...

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): हिज़री 1006 यानी 1598 में जब अबुल फ़ज़ल ने फारसी में आइन-ए-अकबरी लिखी थी तब उन्होंने वही लिखा जो अकबर चाहते थे। आइन-ए-अकबरी वास्तव में बादशाह अकबर पर लिखे गए अकबरनामा का हिस्सा है, तीसरा हिस्सा जिसे पांच बार सम्पादित करने (या यूं कह लें करवाने ) के बाद ओके किया गया था। अकबरनामा के सभी हिस्से अबुल फ़ज़ल ने ही लिखे थे जो अकबर के दरबारी थे। उनके लेखन या ज्ञान को लेकर उन्हें अकबर के नवरत्नों  में शुमार किया जाता था। 
PunjabKesari

निश्चित ही यह उस दौर की कृति है जब पढ़े-लिखे लोग कम थे और लिखने वाले तो उससे भी कम। लेकिन आज हालात बिल्कुल विपरीत हैं। आज तो लोग बिना पढ़े भी लिख लेते हैं। समाज के पास  अपने भाव व्यक्त करने के लिए सामाजिक मीडिया है जिसे हम फेसबुक, ट्विटर या फिर व्हाट्सऐप  आदि में बांट सकते हैं। जाहिर है ऐसे में जब कोई अकबरनामा लिखा जायेगा तो वो अकबर की सहमति का मोहताज़ तो होने से रहा। यही हुआ भी है, संस्थागत यौन शोषण का शिकार हुई  महिलाओं द्वारा चलाई गयी मुहिम  "मुझे भी/मैं भी  " यानी MeToo" के बाद आज देश में जो आइन-ए-अकबरी लिखी जा रही है वो बिलकुल अलहदा है।
PunjabKesari

अबुल फ़ज़ल की आइन-ए-अकबरी के विपरीत इसमें कहानी के मेन करैक्टर यानी मूल किरदार के सद्चरित्र की नहीं बल्कि पाशविक मानसिकता का जिक्र हो रहा है। क्या सच है, क्या नहीं यह जांच का विषय है। लेकिन यह सच है कि यह महीना तो अक्टूबर का ही है पर अकबर 1545 वाला नहीं है(बादशाह अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1545 को हुआ था) बल्कि 11 जनवरी 1953 वाला है। यह दीगर है कि एम जे अकबर भी किसी बादशाह से कम नहीं थे, कम से कम कल शाम तक। उनके साथ काम कर चुकी 20 महिलाओं ने जब उनपर यौन शोषण के आरोप लगाए तो बादशाहत बदनामी बन गई। महिलाओं के शोषण को लेकर उन्हें केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।  

PunjabKesari
एम जे अकबर का परिवार कन्वर्टड मुस्लिम है यानी हिन्दू से धर्म परिवर्तन कर उनका कबीला मुसलमान बना था। पश्चिमी बंगाल के तेलनीपारा में जब उनका जन्म हुआ था तो एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि  लड़का बड़ा नाम कमायेगा। यह बात खुद एम जे अकबर ने अपनी चर्चित पुस्तक "ब्लड ब्रदर्स " में लिखी है। एम जे का पूरा नाम  मोबाशर जावेद अकबर है, मोबाशर  वास्तव में मोबाशिर का अपभ्रंश है जिसका अर्थ खुशखबरी लाने वाला होता है। अब संयोग देखिये कि  आज न तो वह ज्योतिषी मौजूद है और न ही एम जे के अब्बा हुज़ूर वर्ना वो देखते कि कैसे नाम बदनामी से हुआ जा रहा है और खुशखबरी उनके इस्तीफे पर वे लोग मना रहे हैं जिन्होंने एम जे के कथित कारनामों का "MeToo" के माध्यम से खुलासा किया।

PunjabKesari
महिला मातहतों का शोषण अक्षम्य है और इसके लिए एम जे को सजा मिलनी ही थी। अब उनके कानूनी रुख क्या तय करते हैं यह भविष्य की बात है, लेकिन समाज की नज़रों में वे नहीं रहे जो वे माने जाते थे। एमजे अकबर ने पत्रकारिता में अपना करियर 1971 में टाइम्स समूह के ट्रेनी जर्नलिस्ट के तौर पर शुरू किया था। महज दो साल के भीतर वे फीचर राइटर के तौर पर स्थापित हो गए। मशहूरी बढ़ी  तो 'स्टारडस्ट' ने उन्हें अपनी पत्रिका का संपादक की नौकरी दे दी ,पत्रिका के छपने के बीच के समय में वे 'ऑनलुकर' के संपादक भी रहे। इसके बाद आनंद बाजार पत्रिका, टेलीग्राफ से होते होते एशियन ऐज तक एम् जे ने कभी मुड़कर नहीं देखा। उनकी पत्रकारिता की तारीफ करने वाले आज भी बड़ी संख्या मैं मौजूद हैं। 

PunjabKesari
दूरदर्शन पर 1986 में शुरू हुए उनके शो न्यूज़लाइन ने तो लोकप्रियता के तमाम शिखर छू लिए  थे।  उनकी राजीव गांधी से दोस्ती हुई जो उनके सियासी सफर का माध्यम बनी एमजे ने 1989  में बिहार के किशनगंज से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। जब वे हारे तो कांग्रेस ने उनके लिए राजयसभा के दरवाजे खुलवा दिए। सियासत में मंदी छाई तो एम जे फिर से अपना अख़बार लेकर पत्रकारिता में लौट आये और अरसे  बाद जब फिर से मौका मिला तो इस बार बीजेपी के खाते से मंत्री बन गए। लेकिन इस दफा उन्हें "सियासी धर्म परिवर्तन" मुबाशिर यानी खुशखबरी लाने वाला नहीं बना पाया। उनका अतीत उनके वर्तमान पर भारी पड़ गया। हालात यहां तक पहुंच गए थे कि  MeeToo  में नाम आने के बाद जब उन्होंने कानूनी कार्रवाई का रास्ता अख्तियार किया तो कुछ नौकरशाह तक राष्ट्रपति भवन उनकी शिकायत लेकर पहुंच गए।
 PunjabKesari

आखिर अकबर को जाना पड़ा। वे लौटेंगे, लौट पाएंगे या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ मैं है लेकिन एक संयोग देखिये कि उधर योगी ने अकबर इलाहाबादी के नाम से मशहूर शहर इलाहाबाद को बाय बोल दी तो इधर मोदी ने एम जे अकबर को गुड़ बाए बोल दिया। यानी इलाहाबाद भी गया और अकबर भी। चलते चलते एम जे अकबर का एक लेख याद आया जिसमे उन्होंने हर फ़िक्र को धुएं में उडाता गया गीत को अपना पसंदीदा बताया था। आज जब अतीत के काले धुएं ने उनके गिर्द घेरा कसा है तो देखना यह है कि क्या वे इस धुएं से बाहर निकल पाते हैं या नहीं?? यह देखना भी दिलचस्प होगा कि अब लोग एम जे अकबर को किस रूप में याद करते हैं। एक शानदार संपादक के रूप में, शासक या फिर अपनी मातहतों के यौन शोषक के रूप में।
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!