Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्व पितृ अमावस्या कल, जानें तर्पण और श्राद्ध का सही समय और पाएं आशीर्वाद

Edited By Updated: 20 Sep, 2025 09:22 PM

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सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी, जो पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है। जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि ज्ञात नहीं है, वे इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं।...

नेशनल डेस्क : हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समापन 21 सितंबर, 2025 को सर्व पितृ अमावस्या के साथ होगा, जिसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन पितरों को विदाई देने का विशेष अवसर होता है, क्योंकि मान्यता है कि 15 दिनों तक धरती पर रहने के बाद पितृ इस दिन अपने लोक लौट जाते हैं। आइए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त, महत्व, मंत्र और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय।

सर्व पितृ अमावस्या 2025: शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि शुरू: 21 सितंबर, रात 12:16 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त: 22 सितंबर, रात 1:23 बजे

कुतुप मुहूर्त: 21 सितंबर, दोपहर 12:07 से 12:56 बजे

रौहिण मुहूर्त: 21 सितंबर, दोपहर 12:56 से 1:44 बजे

अपराह्न काल: 21 सितंबर, दोपहर 1:44 से शाम 4:10 बजे

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति मिलती है। इस दिन किए गए कर्मकांड सीधे पितृ लोक तक पहुंचते हैं, जिससे पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को लंबी आयु, धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए भी खास है, जिन्हें अपने पितरों की श्राद्ध तिथि नहीं पता, क्योंकि इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।

सर्व पितृ अमावस्या क्यों मनाई जाती है?
सर्व पितृ अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या या सर्व मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर किसी कारणवश पितृ पक्ष में श्राद्ध नहीं हो पाया या पितरों की तिथि अज्ञात है, तो इस दिन तर्पण और श्राद्ध करके पितरों को तृप्त किया जा सकता है। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।

पितरों को प्रसन्न करने के लिए मंत्र
सर्व पितृ अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति और पितरों को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

पितृ गायत्री मंत्र: ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

पितृ मंत्र: ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।

पितृ देवता मंत्र: ॐ पितृ देवतायै नमः।

सर्व पितृ अमावस्या पर क्या करें?

पवित्र नदी या घर पर स्नान कर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें।

अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।

शाम को पीपल के पेड़ के नीचे चौमुखी दीपक जलाकर पितरों से क्षमा याचना करें और उनकी विदाई करें।

अन्नदान, गौदान और वस्त्र दान का विशेष महत्व है। गुड़, चावल, गेहूं और घी का दान करें।

सर्व पितृ अमावस्या पर क्या न करें?

बाल और नाखून न काटें।

तामसिक भोजन (मांस, मछली, लहसुन, प्याज) से बचें।

अनावश्यक यात्रा और कपड़े धोने से परहेज करें।

वाद-विवाद या नकारात्मक विचारों से दूर रहें, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है।

पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों को खुश करने के लिए पवित्र नदी में स्नान करें, श्राद्ध और तर्पण करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को दान दें। पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर पितरों से आशीर्वाद मांगें। यह दिन पितृ दोष से मुक्ति और परिवार की समृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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