Sankashti Chaturthi 2025: जानें, पौष माह के संकष्टी चतुर्थी की तारीख, मुहूर्त और चंद्र उदय समय

Edited By Updated: 04 Dec, 2025 03:13 PM

sankashti chaturthi 2025

हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। हर चंद्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत रखा जाता है, जो भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाकर सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

Paush Sankashti Chaturthi: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। हर चंद्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत रखा जाता है, जो भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाकर सुख-समृद्धि प्रदान करता है। पौष मास की संकष्टी चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्चे मन से गणेश जी की पूजा करने और व्रत रखने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में आने वाली हर परेशानी दूर होती है। तो आइए जानते हैं पौष माह में के संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त और चंद्र उदय के समय के बारे में-

Paush Sankashti Chaturthi

चतुर्थी तिथि और शुभ मुहूर्त 
चतुर्थी तिथि की शुरुआत 7 दिसंबर 2025 को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर होगी और चतुर्थी तिथि का समापन अगले दिन 8 दिसंबर 2025 को शाम 04 बजकर 03 मिनट पर होगा। इस दिन भगवान गणेश की आराधना के लिए दो शुभ काल बताए गए हैं।

प्रातः/मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक।

संध्या/रात्रि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 31 मिनट तक।

Paush Sankashti Chaturthi

चंद्रोदय का समय 
संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही संपन्न होता है, इसलिए चांद निकलने का समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन चंद्रोदय रात लगभग 07 बजकर 55 मिनट पर होगा।

पौष संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
पौष मास में पड़ने वाली इस चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, जिसमें भगवान गणेश के अखुरथ महागणपति स्वरूप की पूजा की जाती है। इस व्रत का नाम संकष्टी है। भगवान गणेश भक्तों के जीवन के सभी विघ्न, बाधाएं और संकट दूर करते हैं। अखुरथ महागणपति की पूजा करने से विशेष रूप से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और घर में धन-वैभव का आगमन होता है। गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है। यह व्रत करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है और उसे सही निर्णय लेने की क्षमता मिलती है। कई भक्त संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी यह व्रत रखते हैं।

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