शिवसेना को याद आया वाजपेयी का समय, कहा- तब NDA के सभी दलों का होता था सम्मान

Edited By Anil dev,Updated: 19 Sep, 2020 04:52 PM

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शिवसेना ने शनिवार को अर्थव्यवस्था, व्यापार और कृषि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार हवाई अड्डों, एअर इंडिया तथा रेलवे के निजीकरण की ओर बढ़ रही है तथा किसानों के जीवन का नियंत्रण व्यापारियों...

मुंबई: शिवसेना ने शनिवार को अर्थव्यवस्था, व्यापार और कृषि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार हवाई अड्डों, एअर इंडिया तथा रेलवे के निजीकरण की ओर बढ़ रही है तथा किसानों के जीवन का नियंत्रण व्यापारियों और निजी क्षेत्र को दे रही है। शिवसेना ने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र ने अपने सहयोगियों, किसान संगठनों या विपक्षी दलों के साथ परामर्श किये बिना कृषि पर विधेयक पेश किए और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे से यह बात पूरी तरह साफ हो गयी है।

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शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के समय का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अलग था क्योंकि वे राजग के घटक दलों को सम्मान के साथ देखते थे और उनसे परामर्श करते थे। इसमें लिखा है, शिरोमणि अकाली दल की सदस्य हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। मोदी सरकार दो किसान-विरोधी विधेयक लाई है और उन्होंने इसके विरोध में इस्तीफा दिया है। उनके इस्तीफे को कबूल कर लिया गया है। शिवसेना पहले ही राजग से बाहर हो चुकी है और अब अकाली दल ने कदम उठाया है।  शिवसेना ने कहा, वाजपेयी और आडवाणी के समय राजग के सहयोगी दलों को सम्मान, लगाव और विश्वास के साथ देखा जाता था। नीतिगत निर्णयों पर परामर्श होता था और भाजपा नेता सहयोगी दलों के विचारों को सुनते थे। उस समय बोले गए शब्दों का मान होता था। इसमें कहा गया, महाराष्ट्र की तरह ही पंजाब कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला राज्य है। इसलिए किसानों पर विधेयक लाने से पहले सरकार को महाराष्ट्र, पंजाब और बाकी देश में किसान संगठनों तथा कृषि विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करनी चाहिए थी।'' शिवसेना के अनुसार विधेयक में ऐसा तंत्र बनाने का प्रावधान है जिसमें कारोबारी मंडियों के बाहर भी किसानों के उत्पाद खरीद सकते हैं। कांग्रेस, द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रावधान का विरोध किया है।

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उनका मानना है कि यह किसान विरोधी है। उसने आरोप लगाया, केंद्र सरकार हवाई अड्डों, एअर इंडिया, बंदरगाहों, रेलवे, बीमा कंपनियों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है तथा किसानों के जीवन का नियंत्रण कारोबारियों और निजी क्षेत्र के लोगों को दे रही है। अर्थव्यवस्था, व्यापार, कृषि से संबंधित मोदी सरकार की नीतियां संदेह पैदा करती हैं। शिवसेना के मुताबिक, सरकार कहती है कि नयी प्रणाली से किसानों को फायदा होगा। अगर इसे सच मान भी लिया जाए तो देश में कुछ शीर्ष किसान नेताओं के साथ बातचीत करने में क्या हर्ज था? उसे कम से कम राकांपा नेता शरद पवार से बातचीत करनी चाहिए थी। लेकिन इस सरकार को संवाद या परामर्श शब्द से कोई लेनादेना नहीं है।'' लोकसभा ने बृहस्पतिवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवद्र्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी। हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कृषि विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे का उनका फैसला च्किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के उनके पार्टी के दृष्टिकोण, उसकी गौरवशाली विरासत तथा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 

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