Edited By Harman Kaur,Updated: 21 Aug, 2025 03:17 PM

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के सफल मिशन से लौटे भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बृहस्पतिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अपना अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से सुंदर दिखता...
नेशनल डेस्क: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के सफल मिशन से लौटे भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बृहस्पतिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अपना अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से सुंदर दिखता है भारत। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि अब वह दिन दूर नहीं जब कोई भारतीय "अपने रॉकेट, अपने कैप्सूल और अपनी धरती" से अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा।
ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएसएस मिशन का प्रत्यक्ष अनुभव अमूल्य था और किसी भी प्रशिक्षण से कहीं बेहतर था। उन्होंने कहा कि भारत आज भी ‘‘सारे जहां से अच्छा'' दिखता है। ये शब्द पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में अपने अंतरिक्ष मिशन के बाद कहे थे।
अपने ‘एक्सिओम-4' मिशन को लेकर शुक्ला ने कहा कि आईएसएस मिशन से प्राप्त अनुभव भारत के अपने ‘गगनयान' मिशन के लिए बहुत उपयोगी होगा और उन्होंने पिछले वर्ष अपने मिशन के दौरान बहुत कुछ सीखा है। अंतरिक्ष यात्री ने कहा, ‘‘चाहे आपने कितना भी प्रशिक्षण लिया हो, उसके बाद भी, जब आप रॉकेट में बैठते हैं और इंजन चालू होता तथा वह उड़ान भरता है तो मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही अलग एहसास होता है।''
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि यह कैसा लगेगा। रॉकेट में बैठने से वापस लौटने पर उसके समुद्र में उतरने तक का अनुभव अविश्वसनीय था। यह इतना रोमांचक और अद्भुत था कि मेरे पास इसे बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।''