ज्योति मल्होत्रा केस जैसा पैटर्न, दो यूट्यूबर गिरफ्तार, पाकिस्तान के लिए करते थे जासूसी?

Edited By Updated: 03 Oct, 2025 11:15 PM

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हरियाणा के पलवल जिले से पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में दो लोगों की गिरफ्तारी ने एक बार फिर भारत में सक्रिय पाकिस्तानी नेटवर्क का चेहरा उजागर कर दिया है। गिरफ्तार युवकों के नाम वसीम अकरम (कोट गांव का यूट्यूबर) और तौफीक (अलीमेव गांव निवासी)...

नेशनल डेस्कः हरियाणा के पलवल जिले से पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में दो लोगों की गिरफ्तारी ने एक बार फिर भारत में सक्रिय पाकिस्तानी नेटवर्क का चेहरा उजागर कर दिया है। गिरफ्तार युवकों के नाम वसीम अकरम (कोट गांव का यूट्यूबर) और तौफीक (अलीमेव गांव निवासी) हैं। पुलिस को शक है कि ये दोनों सीधे तौर पर पाकिस्तान हाई कमीशन (PHC) के जरिए चल रहे एक बड़े जासूसी गिरोह का हिस्सा हैं।

इससे पहले इसी साल मशहूर यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा का मामला सामने आया था, जिसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क रखने का आरोप लगा था। इसके अलावा मलेरकोटला के गुजाला और यामीन तथा नूह के अमन के मामलों में भी समान पैटर्न देखने को मिला है।

वीजा डेस्क बना जासूसी का अड्डा

जांच एजेंसियों के मुताबिक, पाकिस्तान हाई कमीशन का वीजा डेस्क अब महज वीजा जारी करने का दफ्तर नहीं रह गया है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और जासूसी गतिविधियों का ठिकाना बन चुका है। पलवल में पकड़े गए वसीम और तौफीक लोगों से पैसे लेकर उन्हें पाकिस्तान का वीजा दिलाने का वादा करते थे। वसूले गए पैसों का बड़ा हिस्सा सीधे PHC के कर्मचारियों तक पहुंचाया जाता था। जांच में सामने आया कि दानिश नाम का एक कर्मचारी इन पैसों को आईएसआई एजेंटों तक पहुंचाता था। यही एजेंट टूरिस्ट वीजा पर भारत आकर जासूसी करते और भारतीय नेटवर्क खड़ा करते।

वसीम अकरम कैसे आया नेटवर्क में?

वसीम अकरम सिविल इंजीनियरिंग का छात्र रहा है। वह पहली बार इस नेटवर्क में तब फंसा जब उसे खुद पाकिस्तान का वीजा चाहिए था। उसका वीजा रिजेक्ट हो गया, लेकिन PHC के कर्मचारी जाफर उर्फ मुजम्मिल हुसैन को ₹20,000 रिश्वत देने के बाद उसका वीजा मंजूर हो गया। मई 2022 में वह पाकिस्तान के कसूर शहर गया था और वापस आने के बाद भी जाफर से व्हाट्सऐप चैट और कॉल के जरिए संपर्क बनाए रखा। धीरे-धीरे उसने वीजा दिलाने के नाम पर लोगों से पैसे वसूलना शुरू किया। उसके बैंक खाते में 4 से 5 लाख रुपये आए, जिनमें से ज्यादातर रकम जाफर और अन्य PHC कर्मचारियों तक पहुंचाई गई।

सेना और सुरक्षा से जुड़ी जानकारी भी लीक

गिरफ्तार वसीम और तौफीक पर आरोप है कि उन्होंने सिर्फ वीजा दलाली ही नहीं की, बल्कि पाक एजेंटों को भारतीय सेना की मूवमेंट, सिम कार्ड, ओटीपी और संवेदनशील सूचनाएं भी मुहैया कराईं। माना जा रहा है कि ये जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तक पहुंचाई गई थी।

बढ़ती चिंता, जांच जारी

जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि PHC का वीजा डेस्क वर्षों से इसी तरह का ‘हनी ट्रैप और रिश्वत तंत्र’ चलाता रहा है। गृह मंत्रालय पहले ही कई बार पाकिस्तान हाई कमीशन की संदिग्ध गतिविधियों पर सवाल उठा चुका है। ज्योति मल्होत्रा केस के बाद आई यह गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि भारत में फैला पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क कहीं ज्यादा गहरा और खतरनाक है, जितना अब तक समझा गया था।

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