Edited By Mansa Devi,Updated: 06 Aug, 2025 02:25 PM

ट्रेन में सफ़र करते समय आपने अक्सर देखा होगा कि स्लीपर और जनरल कोचों में बहुत भीड़ रहती है, जबकि एसी कोच अक्सर खाली रहते हैं। यहाँ तक कि वेटिंग लिस्ट में सफ़र करने वाले यात्रियों की संख्या भी एसी कोचों में कम होती है। तो आइए जानते हैं, ऐसा क्यों होता...
नेशनल डेस्क: ट्रेन में सफ़र करते समय आपने अक्सर देखा होगा कि स्लीपर और जनरल कोचों में बहुत भीड़ रहती है, जबकि एसी कोच अक्सर खाली रहते हैं। यहाँ तक कि वेटिंग लिस्ट में सफ़र करने वाले यात्रियों की संख्या भी एसी कोचों में कम होती है। तो आइए जानते हैं, ऐसा क्यों होता है और इसकी असली वजह क्या है।
95% यात्री नॉन-एसी में करते हैं सफर
भारतीय रेलवे के आँकड़ों के अनुसार, ट्रेनों में सफ़र करने वाले लगभग 95% लोग स्लीपर और जनरल क्लास से यात्रा करते हैं, जबकि केवल 5% लोग ही एसी क्लास का सफ़र चुनते हैं। यही वजह है कि स्लीपर और जनरल कोचों में इतनी भीड़ होती है। यात्रियों की इसी बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रेलवे अब अमृत भारत ट्रेनों का निर्माण कर रहा है, जो आधुनिक सुविधाओं के साथ नॉन-एसी श्रेणी के लिए हैं।
नॉन-एसी कोचों की संख्या ज़्यादा
भारतीय रेलवे में एसी कोचों की तुलना में नॉन-एसी कोचों की संख्या बहुत ज़्यादा है।
रिकॉर्ड के अनुसार, प्रीमियम ट्रेनों को छोड़कर, मेल, एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों में कुल 79,000 कोच हैं। इनमें से 56,000 कोच नॉन-एसी (स्लीपर और जनरल) हैं। जबकि एसी कोचों की संख्या सिर्फ 23,000 है।
हर ट्रेन में 12 नॉन-एसी कोच
भारतीय रेलवे आम लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हर ट्रेन में 12 नॉन-एसी कोच (साधारण और शयनयान श्रेणी) और केवल 8 एसी कोच लगाता है। इस तरह, स्लीपर और जनरल क्लास में सफ़र करने वाले यात्रियों को ज़्यादा सीटें मिलती हैं।