Edited By Mansa Devi,Updated: 08 Dec, 2025 12:41 PM

इंडिगो एयरलाइंस पिछले एक सप्ताह से बड़े संकट में है। लगातार सात दिनों से देशभर के एयरपोर्ट्स पर फ्लाइट्स रद्द होने और देरी का सिलसिला जारी है।
नेशनल डेस्क: इंडिगो एयरलाइंस पिछले एक सप्ताह से बड़े संकट में है। लगातार सात दिनों से देशभर के एयरपोर्ट्स पर फ्लाइट्स रद्द होने और देरी का सिलसिला जारी है। यात्रियों की परेशानी बढ़ती जा रही है, लेकिन पायलट्स ने अब खुलकर आरोप लगाए हैं कि यह अव्यवस्था किसी तकनीकी दिक्कत से ज़्यादा, एक “जानबूझकर पैदा किया गया संकट” है।
पायलट्स बोले फ्लाइट रद्दीकरण प्रथा नहीं, रणनीति है
कई पायलट्स का कहना है कि कंपनी का मैनेजमेंट नए सेफ्टी नियमों को लागू करने से बचना चाहता था और इसी वजह से फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नए नियमों को रोकने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की गई। उनके अनुसार, कंपनी ऐसे दिखा रही है जैसे भारी स्टाफ की कमी हो, जबकि वास्तविक आंकड़े कुछ और बताते हैं। “सिर्फ 65 कैप्टन की कमी से कैसे ठप हो गई हजारों फ्लाइट्स।”
पायलट्स ने सवाल उठाया कि—
इंडिगो रोजाना करीब 2,200 फ्लाइट्स चलाती है।
कथित तौर पर जिन 65 कैप्टन और कुछ फर्स्ट ऑफिसर्स की कमी बताई जा रही है, उसका असर कुल ऑपरेशंस के 5–7% पर ही पड़ता।
➤ फिर इतने बड़े पैमाने पर फ्लाइट्स क्यों रद्द की जा रही हैं?
➤ पायलट्स का दावा है कि “स्टाफ की कमी” का मुद्दा जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन का गंभीर आरोप
➤ एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष साग्निक बनर्जी ने कहा—
➤ नए FDTL नियम सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी थे।
SOPs सालों से इसी आधार पर तैयार किए जाते रहे हैं।
लेकिन कंपनी मुनाफे को प्राथमिकता देते हुए इन नियमों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने दावा किया कि नियम लागू होने के समय कुल 4,581 पायलट उपलब्ध होने चाहिए थे, लेकिन केवल 124 अतिरिक्त पायलटों की कमी थी—जो इतनी बड़ी उथल-पुथल की वजह नहीं बन सकती।
पायलट्स के कामकाज में अचानक बड़े बदलाव
पायलट्स ने कुछ और भी आरोप लगाए—
➤ क्रू को रिपोर्टिंग कॉल्स बहुत देर से मिलने लगीं, जिससे समय पर पहुंचना मुश्किल हुआ।
➤ कई एयरपोर्ट्स पर प्लेन को बहुत दूर-दूर पार्क किया गया, जिससे क्रू की मूवमेंट में देरी बढ़ी।
➤ पहले जो विमान पास-पास खड़े होते थे, हाल में उन्हें 60 किमी तक की दूरी पर रखा गया था।
➤ इससे न सिर्फ ऑपरेशनल टाइम बढ़ा बल्कि देरी और रद्द होने का जोखिम भी बढ़ गया।
पायलट्स की मांग ट्रांसपेरेंट और सुरक्षित सिस्टम
पायलट्स एक पारदर्शी और सुरक्षित कार्यप्रणाली की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले पांच दिनों में जो अराजकता दिखी, ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। अचानक फैली गड़बड़ी ने यह संकेत दिया कि सिस्टम के भीतर गंभीर खामियां हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है।