JNU के कुछ छात्रों ने मुझसे रामनवमी के दिन चिकन की आपूर्ति नहीं करने को कहा था: मांस विक्रेता का दावा

Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Apr, 2022 06:41 PM

some jnu students asked me not to supply chicken on ram navami

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के (जेएनयू) के कुछ छात्रों ने फोन कर कहा था कि रामनवमी पर विश्वविद्यालय के कावेरी छात्रावास के मेस में चिकन की आपूर्ति नहीं की जाए। यह दावा किया है अफज़ाल अहमद ने जो करीब तीन दशक से छात्रवास में मांस आपूर्ति कर रहे हैं।

नेशनल डेस्क: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के (जेएनयू) के कुछ छात्रों ने फोन कर कहा था कि रामनवमी पर विश्वविद्यालय के कावेरी छात्रावास के मेस में चिकन की आपूर्ति नहीं की जाए। यह दावा किया है अफज़ाल अहमद ने जो करीब तीन दशक से छात्रवास में मांस आपूर्ति कर रहे हैं। मेस में कथित रूप से मांसाहारी भोजन परोसने को लेकर 10 अप्रैल को दो छात्र समूहों के बीच झड़प हो गई थी। वहीं विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने दावा किया कि त्योहार के दिन कुछ छात्रों ने हवन पर आपत्ति जताई थी जिसके बाद हिंसा हुई। आरएसएस से जुड़ी एबीवीपी ने भी यही दावा किया है। अहमद ने बताया कि फोन करने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र थे और वह उन्हें जानते हैं। उन्होंने कहा, "ऐसा कभी नहीं हुआ है कि मुझे त्योहार की वजह से (छात्रावास में) मांस की आपूर्ति नहीं करने के लिए कहा गया हो।”

रामनवमी पर छात्रावास में आयोजित पूजा में बाधा डाली
वामपंथी झुकाव वाले छात्र संगठनों और वामपंथी नेतृत्व वाले जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने आरोप लगाया है कि एबीवीपी के सदस्यों ने मेस में चिकन की आपूर्ति करने वाले विक्रेता को रोका और 10 अप्रैल की दोपहर उन पर हमला किया। हालांकि, दक्षिणपंथी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि "वामपंथियों" ने रामनवमी पर छात्रावास में आयोजित पूजा में बाधा डाली और वे मांसाहारी भोजन परोसने का मुद्दा उठाकर ध्यान भटका रहे हैं। अहमद ने कहा, "10 अप्रैल की सुबह, मुझे जेएनयू के कुछ छात्रों का फोन आया और मुझसे कहा कि मैं कावेरी छात्रावास में मांस की आपूर्ति नहीं करूं। मैंने उन्हें बताया कि मुझे नौ अप्रैल को ऑर्डर मिला था।" उन्होंने कहा, “लेकिन उन्होंने मुझे धमकी देते हुए कहा कि अगर मैंने छात्रावास में मांस की आपूर्ति की तो वे मुझे जेएनयू के दूसरे छात्रावास में मांस की आपूर्ति नहीं करने देंगे। मैंने उनसे कहा कि मैं आकर उनसे बात करूंगा।”

उन्होंने चिकन लाने को कहा
अहमद ने कहा कि 10 अप्रैल रविवार के दिन वह दोपहर 2.15 बजे के आसपास कावेरी छात्रावास पहुंचे और देखा कि मेस समिति के सदस्य और वे लोग, बातचीत कर रहे हैं जिन्होंने उन्हें सुबह फोन किया था। कावेरी छात्रावास के अलावा विश्वविद्यालय के परिसर में 17 और छात्रावास हैं। अहमद ने कहा कि शाम करीब चार बजे उन्हें कावेरी छात्रावास के मेस सचिव का फोन आया और उन्होंने उनसे चिकन लाने को कहा। उन्होंने कहा, “मैंने अपनी कार रोकी और मेरे कर्मचारी छात्रावास के मेस में चिकन की आपूर्ति करने लगे। उसी समय पांच-सात व्यक्ति आए और मुझे धमकाने लगे। उनकी मेस समिति के कुछ सदस्यों से हाथापाई भी हुई। मुझे अंदर जाने से रोकने के लिए उन्होंने छात्रावास का दरवाज़ा बंद कर दिया।”

मैं पिछले 25-30 सालों से जेएनयू में मांस की आपूर्ति कर रहा हूं- अहमद
अहमद ने कहा कि उन्होंने अपने कर्मचारियों से मांस वापस वाहन में रखने के लिए कहा और वे वहां से चले गए। उन्होंने कहा, ‘‘रविवार को, मुझे किसी अन्य छात्रावास में नहीं रोका गया। दरअसल, मैं पिछले 25-30 सालों से जेएनयू में मांस की आपूर्ति कर रहा हूं और ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुझे त्योहार की वजह से मांस की आपूर्ति नहीं करने के लिए कहा गया हो।” कावेरी छात्रावास के मेस में बुधवार, शुक्रवार और रविवार को मांसाहारी भोजन परोसा जाता है। जेएनयू के अन्य छात्रावास में भी इसी तरह के नियमों का पालन किया जाता है। अहमद ने कहा, “मैं जेएनयू में करीब 250- 300 किलोग्राम मांस की आपूर्ति करता हूं। कुछ छात्रावासों में, दो दिन मांसाहारी भोजन परोसा जाता है जबकि अन्य में, हफ्ते में तीन दिन मांसाहारी भोजन पकाया जाता है।”

मैं डरा हुआ हूं कि जब मैं परिसर वापस जाऊंगा तो मेरे साथ क्या होगा
उन्होंने कहा, “ मैं डरा हुआ हूं कि जब मैं परिसर वापस जाऊंगा तो मेरे साथ क्या होगा। अगर मेस समिति या मेस वार्डन मुझे मेरी सुरक्षा का आश्वासन देंगे, तो मुझे अच्छा लगेगा।” एबीवीपी ने सोमवार को दावा किया था कि सात दिन पहले कावेरी छात्रावास मेस समिति की एक आम सभा (जीबीएम) हुई थी, जहां यह "सर्वसम्मति से" तय किया गया था कि रामनवमी के मौके पर रविवार को मेस में मांसाहारी भोजन नहीं बनाया जाएगा। कावेरी छात्रावास के मेस सचिव राघीब ने इस बात से इनकार किया है कि इस मामले में कोई जीबीएम आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा था, “मुझे रविवार से एक दिन पहले मेस वार्डन से संदेश मिला कि कल मांसाहारी भोजन नहीं परोसा जाना चाहिए। मैंने उनसे लिखित में देने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।" 

 

 

 

 

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