भारत को चांद तक पहुंचाने का सपना देखने वाले विक्रम साराभाई की कहानी

Edited By Updated: 30 Dec, 2024 12:48 PM

story of vikram sarabhai who dreamed of india reaching the moon

एक वैज्ञानिक जिनकी विरासत आज भी प्रेरित करती है, जिन्होनें भारत को चांद तक पहुंचाने का सपना देखा, उन महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की पुण्यतिथि पर विशेष लेख

नेशनल डेस्क: आज, 30 दिसंबर, भारत के महान वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक, डॉ. विक्रम साराभाई की पुण्यतिथि है। 52 साल पहले इसी दिन, उन्होंने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना देखते हुए दुनिया को अलविदा कहा था। विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। एक समृद्ध जैन परिवार में जन्मे साराभाई ने बचपन से ही विज्ञान के प्रति गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की, जिनमें भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (आईआईएम) अहमदाबाद और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख हैं। साल 1966 में भौतिक विज्ञानी होमी भाभा (Physicist Homi Bhabha) के निधन के बाद साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।

ISRO की स्थापना और भारत का अंतरिक्ष अभियान

साल 1962 में साराभाई ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की, जिसे बाद में इसरो के नाम से जाना गया। उन्होंने दक्षिणी भारत में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन की भी स्थापना की। साराभाई के नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट को साल 1975 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

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महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधन

विक्रम साराभाई को 30 दिसंबर, 1971 की रात मुंबई (बॉम्बे) प्रस्थान करने से पहले एमएलवी डिजाइन की समीक्षा करनी थी। तब उन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति से फोन पर बात की थी मगर बाचतीच के बीच में दिल का दौड़ा पड़ने की वजह से 52 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। अहमदाबाद में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया।

PunjabKesariविक्रम साराभाई की विरासत

विक्रम साराभाई को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण और मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हीं के नाम पर चंद्रमा पर एक क्रेटर का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया। इसके अलावा भारतीय डाक विभाग ने उनकी पहली पुण्यतिथि पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था। विक्रम साराभाई एक महान वैज्ञानि थे, जिन्होंने भारत को वैज्ञानिक क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

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