Edited By Parveen Kumar,Updated: 15 Nov, 2025 11:00 PM

महाराष्ट्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने बाल दिवस की खुशियों को मातम में बदल दिया। महज 10 मिनट की देरी के कारण एक 13 साल की छात्रा को ऐसी सजा दी गई कि उसकी जान ही चली गई। शिक्षिका द्वारा दी गई 100 उठक-बैठक की सजा इस मासूम के लिए...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने बाल दिवस की खुशियों को मातम में बदल दिया। महज 10 मिनट की देरी के कारण एक 13 साल की छात्रा को ऐसी सजा दी गई कि उसकी जान ही चली गई। शिक्षिका द्वारा दी गई 100 उठक-बैठक की सजा इस मासूम के लिए मौत का कारण बन गई। घटना सामने आने के बाद पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया है और शिक्षिका के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।
क्यों मिली यह खौफनाक सजा?
यह घटना पालघर जिले के वसई पश्चिम के सातीवली इलाके के श्री हनुमंत विद्या हाई स्कूल की है।
छात्रा स्कूल में 10 मिनट देर से पहुंची। बस इतनी सी बात पर शिक्षिका भड़क उठीं और बच्ची को 100 बार उठक-बैठक करने का आदेश दे दिया।
सजा इतनी अमानवीय थी कि छात्रा वहीं से बीमार होने लगी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
घटना की पूरी कहानी
- मृत छात्रा का नाम अंशिका गौड़, उम्र 13 वर्ष, कक्षा 6 की छात्रा थी।
- 8 नवंबर को अंशिका रोज की तरह स्कूल आई, मगर 10 मिनट देर हो गई।
- शिक्षिका ने उसे और अन्य देर से आने वाले बच्चों को कक्षा से बाहर निकालकर उठक-बैठक की सजा दी।
- कई छात्र बीच में रुक गए, लेकिन डरी हुई अंशिका ने 100 उठक-बैठक पूरी कीं।
- स्थिति बिगड़ने के बाद उसे पहले वसई के आस्था अस्पताल, फिर मुंबई रेफर किया गया।
- बाल दिवस के दिन, इलाज के दौरान अंशिका ने दम तोड़ दिया।
मनसे का एक्शन- स्कूल सील
घटना उजागर होते ही मनसे मैदान में उतर गई और स्कूल को तुरंत बंद करवा दिया। मनसे का कहना है- “जब तक शिक्षिका पर FIR दर्ज नहीं होती, स्कूल नहीं खुलने दिया जाएगा।” सबसे चौकाने वाली बात यह है कि यह स्कूल सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है। बिना मान्यता वाले इस संस्थान में एक शिक्षिका की अमानवीय सजा ने एक मासूम की जान ले ली, जिससे अभिभावकों में गहरा रोष है।