Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Apr, 2018 08:49 AM
ताजमहल पर मालिकाना हक जताने वाला सुन्नी वक्फ बोर्ड उच्चतम न्यायालय में अपने दावे के समर्थन में आज कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं कर सका। वक्फ बोर्ड ने अपनी दावेदारी पर नरम रुख अपनाते हुए कहा कि ताजमहल का असली मालिक खुदा है।
नई दिल्ली (वार्ता): ताजमहल पर मालिकाना हक जताने वाला सुन्नी वक्फ बोर्ड उच्चतम न्यायालय में अपने दावे के समर्थन में आज कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं कर सका। वक्फ बोर्ड ने अपनी दावेदारी पर नरम रुख अपनाते हुए कहा कि ताजमहल का असली मालिक खुदा है। जब कोई सम्पत्ति वक्फ को दी जाती है तो वह खुदा की संपत्ति बन जाती है। इससे पहले वक्फ बोर्ड का दावा था कि वह ताजमहल का मालिक है और उसके पास इसके समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद है।
वक्फ बोर्ड ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि उसे ताजमहल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) की देख-रेख में बनाए रखने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन नमाज और उर्स जारी रखने का बोर्ड का अधिकार बरकरार रहे। इस पर ए.एस.आई. ने अधिकारियों से निर्देश लेने के लिए वक्त मांगा। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने ए.एस.आई. की याचिका पर पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान कहा था कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थीं।
आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और ए.एस.आई. इसकी देखभाल कर रहा है लेकिन बोर्ड की ओर से दलील दी गई थी कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था। इस पर पीठ ने तुरंत कहा था कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। वक्फ बोर्ड के आग्रह पर न्यायालय ने उसे एक हफ्ते की मोहलत दे दी लेकिन एक सप्ताह बाद आज बोर्ड साक्ष्य प्रस्तुत करने में नाकाम रहा।