जस्टिस इंदु मल्होत्रा हुईं रिटायर, अब सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ एक महिला जज

Edited By Yaspal,Updated: 13 Mar, 2021 09:38 PM

supreme court judge justice indu malhotra retires

न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की सेवानिवृत्ति के बाद उच्चतम न्यायालय में अब सिर्फ एक महिला न्यायाधीश ही रह गई हैं। इसे न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को बहुत ही चिंतित करने वाली स्थिति बताते हुए गंभीर आत्मावलोकन करने की जरूरत बताई। न्यायमूर्ति...

नई दिल्लीः न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की सेवानिवृत्ति के बाद उच्चतम न्यायालय में अब सिर्फ एक महिला न्यायाधीश ही रह गई हैं। इसे न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को बहुत ही चिंतित करने वाली स्थिति बताते हुए गंभीर आत्मावलोकन करने की जरूरत बताई। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति मल्होत्रा को सम्मानित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट यंग लॉयर्स फोरम द्वारा आयोजित एक विदाई समारोह में यह कहा। न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शनिवार को शीर्ष न्यायालय से सेवानिवृत्त हो गईं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति मल्होत्रा की सेवानिवृतति का यह मतलब है कि उच्चतम न्यायालय में अब सिर्फ एक महिला न्यायाधीश ही पीठ में रह गई हैं। एक संस्था के तौर पर, मैं इसे बहुत ही चिंतित करने वाला तथ्य पाता हूं और इसका अवश्य ही गंभीर आत्मावलोकन करने की जरूरत है। '' उन्होंने कहा, ‘‘एक संस्था के तौर पर, जिसके फैसले रोजाना भारतीयों के जीवन पर असर डालते हैं, हमें अवश्य ही बेहतर करने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें अवश्य ही हमारे देश की विविधता सुनिश्चित करनी होगी, जो हमारी अदालतों में झलकनी चाहिए।'' न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘कहीं अधिक विविधता भरी न्यायपालिका लोगों में अधिक विश्वास की भावना लाती है।''

न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने इस अवसर पर कहा कि एक वकील के तौर पर यह जरूरी है कि आप अत्यधिक पेशेवर व्यवहार करें। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने न्यायाधीश बनने के बाद बार कक्ष में महिला वकीलों द्वारा बुलाए जाने के बाद एक मुद्दा उठाया था। मैंने कहा था कि कृपया फैशनेबल कपड़े नहीं पहनिये, उसे आप शाम के लिए रखिए, ना कि काम पर आने के लिए। आपको अवश्य ही पेशे के अनुरूप कपड़े पहनने चाहिए।

दूसरी बात यह कि आप को याचिका को स्पष्ट रूप से और संक्षेप में लिखना जरूर सीखना चाहिए।'' न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने 27 अप्रैल 2018 को शीर्ष न्यायालय की न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण किया था। उन्होंने ऐतिहासिक सबरीमला मंदिर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में असहमति वाला अपना फैसला सुनाया था। इसके अलावा, उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए थे।

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