SCO Summit: जयशंकर ने पाक पर साधा निशाना, कहा-​​​​​​ आतंकवाद के सभी स्वरूपों और इसकी फंडिंग पर लगे लगाम

Edited By Tanuja,Updated: 06 May, 2023 11:50 AM

terrorism is a  menace  and must be stopped in all forms jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पाकिस्तान के अपने समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी की मौजूदगी में शंघाई सहयोग संगठन (SCO)

इंटरनेशनल डेस्कः  शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पाकिस्तान के अपने समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी की मौजूदगी में दो टूक कहा कि बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद के सभी स्वरूपों और इसके वित्तपोषण को रोकना चाहिए। चीन की ‘बेल्ट एंड रोड' पहल को लेकर बढ़ती आलोचना के बीच जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि संपर्क प्रगति की कुंजी है, लेकिन इसके लिए सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखना चाहिए। गोवा के ‘बीच रिसॉर्ट' में चीन के विदेश मंत्री छिन कांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव तथा SCO के अन्य देशों के उनके समकक्षों ने बैठक की।

 

सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने अफगानिस्तान की स्थिति और कोविड-19 महामारी के प्रभाव के साथ-साथ ऊर्जा, भोजन और उर्वरकों की आपूर्ति को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक उथल-पुथल के परिणामों पर भी चर्चा की। जयशंकर ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक होगा और जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, तब भी आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को बिल्कुल उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस खतरे से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है।

 

उन्होंने कहा, ‘‘हमें किसी भी व्यक्ति या देश को सरकार से इतर तत्वों के पीछे छिपने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह होगा। हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है। सीमापार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए। सदस्यों को यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि खतरे से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है।'' अफगानिस्तान पर उन्होंने कहा, ‘‘उस देश में उभरती स्थिति पर हमारा ध्यान बना हुआ है। हमारे प्रयास अफगान जनता के कल्याण की दिशा में होने चाहिए।''

 

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान में हमारी तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता पहुंचाना, एक वास्तविक समावेशी सरकार सुनिश्चित करना, आतंकवाद से मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार संरक्षित करना शामिल हैं।'' जयशंकर ने कहा कि कनेक्टिविटी के साथ सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखना चाहिए। भारत बीआरआई का मुखर रूप से आलोचना करता रहा है क्योंकि 50 अरब डॉलर की परियोजना में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) शामिल है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।

 

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने SCO शिखर सम्मेलन घोषणा के रूप में नयी दिल्ली घोषणा पत्र और कट्टरता रोकने पर सहयोग, रणनीति, मोटे अनाजों को बढ़ावा, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अनुकूल जीवनशैली और डिजिटल परिवर्तन पर चार संयुक्त घोषणा का भी प्रस्ताव दिया है। एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में, भारत जुलाई में समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। जयशंकर ने अंग्रेजी को एससीओ की तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करने की भारत की लंबित मांग के लिए सदस्य देशों का समर्थन भी मांगा। वर्तमान में, रूसी और चीनी एससीओ की आधिकारिक भाषाएं हैं। जयशंकर ने स्टार्ट-अप और नवाचार तथा पारंपरिक चिकित्सा पर दो नए कार्य समूहों के गठन को लेकर भारत के प्रस्ताव के लिए सदस्य देशों के समर्थन की भी सराहना की।

 

जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया के सामने मौजूदा संकटों ने वैश्विक संस्थाओं की समयबद्ध और प्रभावी तरीके से चुनौतियों का प्रबंधन करने की क्षमता में विश्वसनीयता और भरोसे की कमी को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि एससीओ में सुधार और आधुनिकीकरण अधिक समकालीन दृष्टिकोण प्रदान करेगा जिसका भारत सक्रिय रूप से समर्थन करेगा। अपने संबोधन में बिलावल ने कहा, ‘‘हमारे लोगों की सामूहिक सुरक्षा हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है।'' उन्होंने भारतीय पक्ष पर निशाना साधते हुए अपने बयान में कहा, ‘‘राजनयिक लाभ के लिए आतंकवाद को हथियार बनाने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।'' बिलावल ने कहा, ‘‘हमें SCO के भीतर इन सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के लिए सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए। 

 

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