थरूर का बड़ा बयान: पाकिस्तान को यूएनएससी आतंकवाद विरोधी समितियों में शामिल करने से कोई फायदा नहीं होगा

Edited By Mansa Devi,Updated: 06 Jun, 2025 01:26 PM

tharoor s big statement pakistan will not benefit from

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत मित्रहीन नहीं है और पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनाया जाना तथा आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाए जाने का कोई व्यावहारिक परिणाम नहीं...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत मित्रहीन नहीं है और पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनाया जाना तथा आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाए जाने का कोई व्यावहारिक परिणाम नहीं निकलने वाला है। थरूर भारत द्वारा सामना किए जा रहे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खतरे और आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प के बारे में प्रमुख वार्ताकारों को जानकारी देने के लिए अमेरिका में एक बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।

थरूर ने बृहस्पतिवार को यहां भारतीय दूतावास में बातचीत के दौरान कहा, ‘‘ये सभी समितियां आम सहमति पर काम करती हैं और किसी अध्यक्ष के लिए अकेले दम पर कुछ ऐसा करवा पाना संभव नहीं है जिसका अन्य विरोध करते हैं या किसी विशेष विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं जिसका अन्य देश समर्थन नहीं करते हैं।'' पाकिस्तान, 2025-26 के कार्यकाल के लिए सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी सदस्य है और वह 2025 के लिए परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता करेगा तथा 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष होगा। गुयाना और रूस ‘1988 तालिबान प्रतिबंध समिति' के उपाध्यक्ष होंगे। अल्जीरिया ‘1373 आतंकवाद-रोधी समिति' की अध्यक्षता करेगा जबकि फ्रांस और रूस अन्य उपाध्यक्ष होंगे।

पाकिस्तान ‘दस्तावेजीकरण और अन्य प्रक्रियात्मक प्रश्नों एवं सामान्य यूएनएससी प्रतिबंध मुद्दों पर अनौपचारिक कार्य समूहों' का सह-अध्यक्ष भी होगा। भारत ने लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय का इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित अधिकतर आतंकवादियों और संगठनों को पाकिस्तान में पनाह मिली है। अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन कई वर्षों तक पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपा रहा और मई 2011 में अमेरिकी नौसेना के जवानों के एक अभियान में मारा गया। दूतावास में कई ‘थिंक टैंक' समूहों और युवा पेशेवरों के साथ संसदीय प्रतिनिधिमंडल की बातचीत के दौरान थरूर से पाकिस्तान द्वारा यूएनएससी की दो प्रतिबंध समितियों की अध्यक्षता करने के बारे में जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यूएनएससी की छह आतंकवाद निरोधक समितियां हैं। उन्होंने कहा कि परिषद के सदस्य बारी-बारी से ऐसी संस्थाओं की अध्यक्षता करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए जब तक पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में है, तब तक इस तरह का ‘‘विशेषाधिकार'' उसे मिल सकता है... सुरक्षा परिषद में हम बिल्कुल मित्रहीन नहीं हैं, इसलिए हमें पूरा विश्वास है कि इस पद का कोई व्यावहारिक परिणाम नहीं निकलने वाला है।'' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी मिशन इस पर सावधानीपूर्वक नजर रखेगा। बुधवार को दूतावास में प्रेस वार्ता के दौरान पाकिस्तान को दो समितियों का प्रभार दिए जाने के बारे में ‘पीटीआई-भाषा' के एक सवाल का जवाब देते हुए थरूर ने कहा, ‘‘एक तो तालिबान समिति है जिसका जिम्मा उन्हें (पाकिस्तान को) मिला है। मुझे नहीं पता कि इस बारे में अफगानों की क्या भावनाएं हैं।'' थरूर ने कहा कि यूएनएससी सदस्यों को हर महीने बारी बारी से परिषद की अध्यक्षता मिलती है।

उन्होंने कहा, ‘‘अन्य लोग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। हम सुरक्षा परिषद में और इसकी समितियों में बिल्कुल मित्रहीन नहीं हैं।'' प्रतिनिधिमंडल 24 मई को भारत से न्यूयॉर्क पहुंचा। इससे पहले प्रतिनिधिमंडल गुयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील की यात्रा कर चुका है और मंगलवार दोपहर को दौरे के अंतिम चरण के लिए वाशिंगटन पहुंचा। थरूर ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय नहीं गया। थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), गंटी हरीश मधुर बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (भारतीय जनता पार्टी), भुवनेश्वर कलिता (भारतीय जनता पार्टी), मिलिंद देवड़ा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भारतीय जनता पार्टी) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात की। थरूर ने इस मुलाकात को ‘‘सार्थक'' बताया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में पाकिस्तान का एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल भी उसी समय अमेरिका पहुंचा, जब थरूर के नेतृत्व में भारत का प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा था। भुट्टो ने भारत के साथ सैन्य संघर्ष और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने के पाकिस्तान के प्रयास के तहत अपने प्रतिनिधिमंडल सहित सुरक्षा परिषद के राजदूतों के साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की।

त्रिपाठी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सीट को लेकर समर्थन व्यक्त किया। संधू ने कहा कि यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि पाकिस्तान को जो ‘‘जिम्मेदारी भरा पद'' दिया गया है, उस पर रहते हुए वह आतंकवाद को कितनी गंभीरता से लेगा और यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि पाकिस्तानी ‘‘जनरल या फील्ड मार्शल'' ने भुट्टो के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल को कितना अधिकार और शक्ति दी है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!