Edited By Mehak,Updated: 13 Dec, 2025 04:38 PM

केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कर दिया है। इसके साथ ही योजना के तहत गारंटीकृत रोजगार के दिन 100 से बढ़ाकर 125 कर दिए गए हैं। न्यूनतम मजदूरी भी बढ़ाकर 240 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है। इस फैसले से ग्रामीण...
नेशनल डेस्क : केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को अब नया नाम दिया है। अब इसे 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना' कहा जाएगा। इस बदलाव के साथ सरकार ने योजना के फायदों में भी सुधार किया है, जिससे ग्रामीण परिवारों को अधिक रोजगार और बेहतर मजदूरी मिलेगी।
योजना के नाम और उद्देश्य में बदलाव
मनरेगा साल 2005 में शुरू हुई थी और इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में काम के अधिकार को कानूनी तौर पर सुनिश्चित करना था। योजना के तहत ग्रामीण परिवारों को सड़क निर्माण, जल संरक्षण, तालाब खुदाई, बागवानी और सामुदायिक विकास जैसे काम दिए जाते थे। इसने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई, ग्रामीण आय को स्थिर किया और पलायन को रोका। अब इसका नया नाम ग्रामीण रोजगार को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में लिया गया कदम माना जा रहा है।
नई योजना में फायदे
पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना में दो बड़े बदलाव किए गए हैं। पहले, गारंटीकृत रोजगार के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 कर दी गई है, जिससे ग्रामीण मजदूर साल में ज्यादा दिनों तक काम कर सकेंगे। दूसरे, न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 240 रुपये प्रति दिन कर दिया गया है, जिससे ग्रामीण मजदूरों की आमदनी सीधे बढ़ेगी।
इससे न केवल ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि लोकल बाजार और छोटे व्यवसायों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। योजना का उद्देश्य ग्रामीण मजदूरों को केवल सहायता पर निर्भर न रहने देना, बल्कि अपनी मेहनत से आर्थिक मजबूती हासिल करने का अवसर प्रदान करना है।