केंद्र सरकार ने लद्दाख हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को ठहराया ज़िम्मेदार, कहा- भीड़ को उकसाया गया

Edited By Updated: 25 Sep, 2025 09:17 AM

the central government blamed sonam wangchuk for the ladakh violence

केंद्र ने बुधवार को आरोप लगाया कि लद्दाख में कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के ‘‘भड़काऊ बयानों' की वजह से भीड़ की हिंसा भड़की और कुछ ‘‘राजनीति रूप से प्रेरित' लोग सरकार और लद्दाखी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत में हुई प्रगति से खुश नहीं हैं।

नेशनल डेस्कः केंद्र ने बुधवार को आरोप लगाया कि लद्दाख में कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के ‘‘भड़काऊ बयानों'' की वजह से भीड़ की हिंसा भड़की और कुछ ‘‘राजनीति रूप से प्रेरित'' लोग सरकार और लद्दाखी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत में हुई प्रगति से खुश नहीं हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बुधवार को सुबह हुई कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को छोड़कर, स्थिति पर शाम चार बजे तक काबू पा लिया गया और सभी से मीडिया और सोशल मीडिया में पुराने और भड़काऊ वीडियो प्रसारित नहीं करने को कहा गया। बयान में कहा गया है, "सरकार पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा उपाय प्रदान करके लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।" गृह मंत्रालय ने कहा कि सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग की गई थी।

बयान में कहा गया है, "यह सर्वविदित है कि भारत सरकार ‘एपेक्स बॉडी लेह' और ‘कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस' के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है। उच्चाधिकार प्राप्त समिति और उप-समिति के औपचारिक माध्यम से उनके साथ कई बैठकें की गईं और नेताओं के साथ कई अनौपचारिक बैठकें भी की गईं।" गृह मंत्रालय ने कहा कि इस तंत्र के माध्यम से बातचीत की प्रक्रिया से लद्दाख अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 84 प्रतिशत करने, परिषदों में एक तिहाई महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने और भोटी और पुर्गी को आधिकारिक भाषा घोषित करने जैसे अभूतपूर्व परिणाम सामने आए हैं। इसके साथ ही, 1800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू की गई। बयान में कहा गया, ‘‘हालांकि, कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्ति उच्चाधिकार प्राप्त समिति के तहत हुई प्रगति से खुश नहीं हैं और संवाद प्रक्रिया को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं।''

उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अगली बैठक छह अक्टूबर को निर्धारित की गई है, जबकि लद्दाख के नेताओं के साथ 25 और 26 सितंबर को भी बैठकें आयोजित करने की योजना है। गृह मंत्रालय ने कहा कि जिन मांगों को लेकर वांगचुक भूख हड़ताल पर थे, वे उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) में चर्चा का अभिन्न अंग हैं। मंत्रालय ने कहा कि कई नेताओं द्वारा भूख हड़ताल समाप्त करने का आग्रह करने के बावजूद, वांगचुक ने भूख हड़ताल जारी रखी और ‘अरब स्प्रिंग' शैली के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में ‘जेन जेड' के विरोध प्रदर्शनों का भड़काऊ उल्लेख करके लोगों को गुमराह किया।

बयान में कहा गया, ‘‘24 सितंबर को पूर्वाह्न लगभग 11.30 बजे उनके भड़काऊ भाषणों से भड़की भीड़ प्रदर्शन स्थल से निकली और एक राजनीतिक दल के कार्यालय के साथ-साथ लेह के सीईसी के सरकारी कार्यालय पर हमला किया। उन्होंने इन कार्यालयों में आग लगा दी, सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया और पुलिस वाहन को आग लगा दी।''

बयान में कहा गया, ‘‘बेकाबू भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया जिसमें 30 से अधिक पुलिस/सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए। भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना और पुलिसकर्मियों पर हमला करना जारी रखा। आत्मरक्षा में, पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी जिसमें दुर्भाग्य से कुछ लोगों के हताहत होने की खबर है।'' बयान में कहा गया, ‘‘यह स्पष्ट है कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के माध्यम से भीड़ को उकसाया था। संयोगवश, इस हिंसक घटनाक्रम के बीच, उन्होंने अपना उपवास तोड़ दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई गंभीर प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए।''

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