पहले अंडा आया या मुर्गी? वैज्ञानिकों ने दिया इसका जवाब

Edited By Updated: 09 Oct, 2024 02:17 PM

the egg came first or the chicken

वैज्ञानिकों ने "पहले अंडा आया या मुर्गी?" के प्रश्न का उत्तर दिया है, यह बताते हुए कि पहले मुर्गी और मुर्गा अस्तित्व में आए, फिर अंडे देने की प्रक्रिया विकसित हुई। ब्रिस्टल और नानजिंग विश्वविद्यालय के अध्ययन में प्राचीन मुर्गों की संतानोत्पत्ति का...

नई दिल्ली: "पहले अंडा आया या मुर्गी?" यह सवाल सदियों से मनुष्य को उलझाए हुए है। अक्सर इसे एक मजेदार पहेली के रूप में लिया जाता है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस प्रश्न का एक नया और तर्कसंगत उत्तर खोज निकाला है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में ब्रिस्टल विश्वविद्यालय और नानजिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया है कि धरती पर पहले मुर्गी और मुर्गा आए, और उसके बाद अंडे देने की प्रक्रिया विकसित हुई।

अंडे देने वाली प्रजातियाँ हुईं विकसित 
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने विस्तृत तरीके से प्राचीन जीवों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने 51 जीवाश्म प्रजातियों और 29 जीवित प्रजातियों का अध्ययन किया, ताकि यह समझ सकें कि अंडे देने वाली प्रजातियाँ कैसे विकसित हुईं। शोध के दौरान, उन्हें यह पता चला कि शुरुआती मुर्गी-मुर्गे वर्तमान के मुर्गियों की तरह नहीं थे। ये जीव अंडे देने के बजाय सीधे बच्चों को जन्म देते थे। 

मुर्गी और मुर्गे का विकास
प्राचीन समय में मुर्गा-मुर्गी पूरी तरह से अलग प्रजातियाँ थीं। इनकी प्रजनन विधि में कोई बदलाव नहीं आया था, जिससे वे सीधे बच्चों को जन्म देते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, इनके विकास में परिवर्तन आया। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके पीछे जैविक विकास की लंबी प्रक्रिया जिम्मेदार है। 

भ्रूण विकास की प्रक्रिया
इस अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विभिन्न जीवों के अंडों में भ्रूण का विकास कैसे होता है। उदाहरण के लिए, चिड़ियों, मगरमच्छों, और कछुओं के अंडे ऐसे होते हैं जिनमें भ्रूण का विकास बाहरी रूप से होता है। वहीं, कुछ जीव जैसे सांप और छिपकलियाँ ऐसे अंडे देती हैं जिनमें भ्रूण अंदर से विकसित होता है। इस प्रकार, इन जीवों की प्रजनन विधि में भिन्नता दिखती है।

अंडे देने की प्रक्रिया का विकास
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल बेंटन ने बताया कि शुरुआती मछलियों, जिन्हें टेट्रापोड्स कहा जाता है, में विकसित अंग होते थे। उन्हें प्रजनन और भोजन के लिए पानी में रहना पड़ता था। ये सभी पहलू मिलकर यह बताते हैं कि मुर्गी और मुर्गा कैसे विकसित हुए और क्यों अंडे देने की प्रक्रिया का विकास हुआ।

जैविक परिवर्तन का महत्व
इस शोध में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि प्राचीन मुर्गा और मुर्गी की प्रजातियाँ समय के साथ बदलती रहीं। उनका संतानोत्पत्ति का तरीका और अंडे देने की प्रक्रिया में सुधार होता गया। शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध किया कि अंडा पहले नहीं आया, बल्कि मुर्गा और मुर्गी पहले अस्तित्व में आए।

पहले मुर्गी और मुर्गा आए
यह अध्ययन न केवल जीवों के विकास के अध्ययन में एक नई दिशा प्रदान करता है, बल्कि यह हमारे लिए यह समझने का एक अवसर भी है कि जीवन कैसे विकसित होता है। यह शोध हमें यह सिखाता है कि जैविक विकास में समय और परिस्थितियों का कितना बड़ा योगदान होता है। इस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर, हम अब यह कह सकते हैं कि पहले मुर्गी और मुर्गा आए, और उसके बाद अंडे देने की प्रक्रिया का विकास हुआ। इस प्रश्न का उत्तर केवल एक मजेदार पहेली नहीं है, बल्कि यह जैविक विज्ञान के एक महत्वपूर्ण पहलू को भी उजागर करता है। इस खोज ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ा है, बल्कि यह दर्शाता है कि जीवों का विकास एक जटिल और लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। 

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