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करवा चौथ: अब पुरूष भी नहीं रहे पीछे, पत्नी की लंबी आयु के लिए रखेंगे व्रत

Edited By vasudha,Updated: 16 Oct, 2019 11:20 AM

there is no man behind to fast for karva chauth

पति की दीर्घायु के लिये सदियों से मनाये जा रहे पर्व ‘करवा चौथ'' का आकर्षण आधुनिकता के इस दौर में भी फीका नहीं पड़ा है बल्कि जीवन संगिनी का इस व्रत में साथ निभाने वाले लोगों की तादाद हाल के वर्षो में तेजी से बढ़ी है...

नेशनल डेस्क: पति की दीर्घायु के लिये सदियों से मनाये जा रहे पर्व ‘करवा चौथ' का आकर्षण आधुनिकता के इस दौर में भी फीका नहीं पड़ा है बल्कि जीवन संगिनी का इस व्रत में साथ निभाने वाले लोगों की तादाद हाल के वर्षो में तेजी से बढ़ी है। सुहागिन स्त्रियां पति की दीर्घायु के लिए श्रद्धा एवं विश्वास के साथ वीरवार को करवा चौथ का व्रत रखेंगी। बदलते दौर में पत्नियों के साथ पति भी अपने सफल दाम्पत्य जीवन के लिए करवा चौथ व्रत का पालन करने लगे है। 

 

मोबाइल फोन और इंटरनेट के दौर में‘करवा चौथ'के प्रति महिलाओं में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आयी बल्कि इसमें और आकर्षण बढ़ा है। टीवी धारावाहिकों और फिल्मों से इसको अधिक बल मिला है। करवा चौथ भावना के अलावा रचनात्मकता, कुछ-कुछ प्रदर्शन और आधुनिकता का भी पर्याय बन चुका है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ पर्व पति के प्रति समर्पण का प्रतीक हुआ करता था, लेकिन आज यह पति-पत्नी के बीच के सामंजस्य और रिश्ते की ऊष्मा से दमक और महक रहा है। 

 

आधुनिक होता दौर भी इस परंपरा को डिगा नहीं सका है बल्कि इसमें अब ज्यादा संवेदनशीलता, समर्पण और प्रेम की अभिव्यक्ति दिखाई देती है। वन अनुसंधान केन्द्र प्रयागराज की वरिष्ठ वैज्ञानिक कुमुद दुबे ने बताया कि द्वापर युग से लेकर आज कलियुग के पांच हजार से अधिक वर्ष बीत जाने पर भी यह पर्व उतनी ही आस्था और विश्वास के साथ मानाया जाता है जैसे द्वापर युग में मनाया जाता था। करवा चौथ व्रत कि महत्ता न/न केवल महिलाओं के लिए पुरूषों के लिए भी है। वह इस व्रत को पिछले कई सालों से रह रही हैं। उन्होने बताया कि पति और पत्नि गृहस्थी रूपी रथ के दो पहिया हैं। किसी एक के भी बिखरने से पूरी गृहस्थी टूट जाती है। ये सबसे कठिन व्रत में से एक माना जाता है। 

 

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करती हैं। इस व्रत में चन्द्रमा को छलनी में देखने का विधान इस बात की ओर इंगित करता है,पति-पत्नी एक दसरे के दोष को छानकार सिर्फगुणों को देखें जिससे दाम्पत्य के रिश्ते प्यार और विश्वास की डोर से मजबूती के साथ बंधा रहे। 

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