Edited By Mehak,Updated: 09 Jul, 2025 05:46 PM

न्यूयॉर्क में इस साल 16 जुलाई को एक बेहद खास और ऐतिहासिक नीलामी होने जा रही है। दुनिया की मशहूर नीलामी कंपनी सोथबीज (Sotheby’s) मंगल ग्रह से आया अब तक का सबसे बड़ा उल्कापिंड NWA 16788 बेचने जा रही है। इसका वजन 24.5 किलोग्राम है और इसकी अनुमानित कीमत...
नेशनल डेस्क : न्यूयॉर्क में इस साल 16 जुलाई को एक बेहद खास और ऐतिहासिक नीलामी होने जा रही है। दुनिया की मशहूर नीलामी कंपनी सोथबीज (Sotheby’s) मंगल ग्रह से आया अब तक का सबसे बड़ा उल्कापिंड NWA 16788 बेचने जा रही है। इसका वजन 24.5 किलोग्राम है और इसकी अनुमानित कीमत 2 से 4 मिलियन डॉलर (करीब 15 से 34 करोड़ रुपये) के बीच हो सकती है।
क्या है NWA 16788?
NWA 16788 एक उल्कापिंड है, जो सीधे मंगल ग्रह से पृथ्वी पर गिरा है। इसे नवंबर 2023 में अफ्रीका के नाइजर देश के सहारा रेगिस्तान में खोजा गया था। एक शिकारी को यह पत्थर अगादेज़ इलाके में मिला था। यह उल्कापिंड खास इसलिए है क्योंकि यह मंगल से मिला अब तक का सबसे बड़ा टुकड़ा है। इसका वजन 24.67 किलोग्राम है, जो पिछले सबसे बड़े मंगलीय उल्कापिंड Taoudenni 002 (14.51 किग्रा) से करीब 70% अधिक भारी है।
क्यों है यह इतना दुर्लभ?
- अब तक पृथ्वी पर 77,000 से ज्यादा उल्कापिंड पाए जा चुके हैं।
- लेकिन इनमें से सिर्फ 400 ही मंगल ग्रह से आए हैं।
- अकेले NWA 16788 ही इन 400 में से 6.5% हिस्सेदारी रखता है, जो इसे बेहद दुर्लभ और कीमती बनाता है।
कैसे आया ये मंगल से पृथ्वी पर?
वैज्ञानिकों का मानना है कि लाखों साल पहले मंगल ग्रह पर एक बड़ा उल्कापात हुआ था, जिससे मंगल की सतह का एक हिस्सा अंतरिक्ष में उछल गया। यह टुकड़ा अंतरिक्ष में करोड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके अंततः पृथ्वी पर गिरा।
इसकी खासियत क्या है?
- इसका रंग लाल-भूरा है, जो मंगल की मिट्टी जैसा लगता है।
- इसमें कुछ हिस्सों पर कांच जैसी परत बनी है, जो पृथ्वी के वायुमंडल में तेज रफ्तार से घुसते समय बनी।
- इसका 21.2% हिस्सा मास्केलिनाइट, पाइरोक्सीन और ओलिवाइन जैसे खनिजों से बना है।
- यह उल्कापिंड आकार और संरचना के लिहाज़ से बेहद संतुलित और वैज्ञानिक दृष्टि से अमूल्य है।
कैसे पता चला कि यह मंगल से आया है?
इसका एक छोटा हिस्सा शंघाई एस्ट्रोनॉमी म्यूजियम में भेजा गया था, जहां विशेषज्ञों ने इसकी रासायनिक संरचना और खनिजों की जांच की। जून 2024 में मेटियोराइटिकल सोसाइटी ने भी पुष्टि की कि यह टुकड़ा मंगल ग्रह से ही आया है। इसकी सतह पर बहुत कम जंग या क्षति है, जिससे अंदाजा लगाया गया कि यह हाल ही में पृथ्वी पर गिरा है।

नीलामी कब और कैसे होगी?
- प्रदर्शन: NWA 16788 को 8 से 15 जुलाई 2025 तक न्यूयॉर्क स्थित सोथबीज के शोरूम में रखा जाएगा।
- नीलामी की तारीख: 16 जुलाई 2025
- समय: दोपहर 2 बजे (UTC टाइम)
- कीमत: 7 जुलाई तक इसकी बोली 1.6 मिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी है।
- भुगतान का तरीका: सोथबीज इस नीलामी में बिटकॉइन, ईथरियम और USDC जैसी क्रिप्टोकरेंसी को भी स्वीकार कर रही है।
इस उल्कापिंड का महत्व
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से: यह उल्कापिंड मंगल ग्रह की संरचना, मिट्टी और खनिजों को समझने में मदद कर सकता है। इसका एक छोटा टुकड़ा चीन के पर्पल माउंटेन ऑब्ज़र्वेटरी में अध्ययन के लिए रखा गया है।
कलेक्टर्स के लिए: दुनियाभर के उल्कापिंड कलेक्टर्स इस पत्थर में गहरी रुचि दिखा रहे हैं, क्योंकि यह दुर्लभता और आकार दोनों ही मामलों में खास है।
सोथबीज की राय: सोथबीज के साइंस और नेचुरल हिस्ट्री विभाग की उपाध्यक्ष कैसेंड्रा हट्टन ने इसे 'एक पीढ़ी में एक बार मिलने वाला खजाना' बताया है।
क्या पहले भी बिके हैं ऐसे उल्कापिंड?
हां, इससे पहले भी मंगल के उल्कापिंड नीलामी में बिक चुके हैं।
- 2021 में माली में मिला Taoudenni 002 नाम का उल्कापिंड 14.51 किलोग्राम का था।
- पिछले साल सोथबीज में एक स्टेगोसॉरस का जीवाश्म 44.6 मिलियन डॉलर में बिका था, जो एक रिकॉर्ड था।
- अब उम्मीद है कि NWA 16788 भी नया रिकॉर्ड बनाएगा।