कफ सिरप त्रासदी: गहने गिरवी रखे, बेशकीमती सामान बेचा...अब कर्ज की मार झेल रहे हैं मृत बच्चों के परिजन

Edited By Updated: 07 Oct, 2025 02:02 AM

to save lives of the children they pawned their jewellery sold their valuables

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में मिलावटी कफ सिरप पीने से अपने बच्चों को खो चुके परिजनों ने पहले उन्हें बचाने के लिए संघर्ष किया, इसके लिए अपने बेशकीमती सामान बेच दिए, गहने तक गिरवी रख दिए और अब कर्ज़ के बोझ से उबरने के लिए जूझ रहे हैं।

नेशनल डेस्कः मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में मिलावटी कफ सिरप पीने से अपने बच्चों को खो चुके परिजनों ने पहले उन्हें बचाने के लिए संघर्ष किया, इसके लिए अपने बेशकीमती सामान बेच दिए, गहने तक गिरवी रख दिए और अब कर्ज़ के बोझ से उबरने के लिए जूझ रहे हैं। इन परिजनों के लिए सबसे बड़ी त्रासदी यह रही कि अपने जिगर के टुकड़ों का जीवन बचाने के लिए उन्होंने जो कुछ भी किया, वह सब व्यर्थ रहा। परासिया के रहने वाले यासीन खान ने अपने चार साल के बेटे उसेद के बेटे की हल्का बुखार और खांसी होने के बाद मौत हो गई। 

खान बड़ी उम्मीद के साथ उसेद का इलाज कराने एक स्थानीय चिकित्सक के पास गए थे और उन्होंने बच्चे को कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने का परामर्श दिया, जिसे बाद में जहरीला पाया गया। खतरे से अनजान, खान ने चिकित्सक की सलाह पर अपने बेटे को सिरप पिलाया। उसेद की हालत बिगड़ने पर उसे पहले छिंदवाड़ा के अस्पताल और फिर नागपुर भेज दिया गया। 13 सितंबर को उसकी मौत हो गई। कोल्ड्रिफ कफ सिरप को अब राज्य में प्रतिबंधित कर दिया गया है। 

खान ने मीडिया से कहा, ''अपने बेटे को बचाने के लिए मैंने आजीविका का एकमात्र साधन अपना ऑटो-रिक्शा बेच दिया।" उन्होंने कहा, "फिर मेरी पत्नी ने इलाज का खर्च उठाने के लिए अपनी शादी के सभी गहने गिरवी रख दिए।" 

उसेद के परिजनों की पीड़ा तब और बढ़ गई जब इस संघर्ष के दौरान उनके छोटे से घर का एक हिस्सा ढह गया। जब यह हादसा हुआ तब परिवार नागपुर में अपने बच्चे का इलाज करवा रहा था। यह कहानी सिर्फ खान की नहीं है। उनके जैसे कुछ और भी परिजन हैं जो अपने बच्चों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करने के बाद अब कर्ज और गरीबी से जूझ रहे हैं। परासिया गांव के ज्यादातर पीड़ित कम आय वाले परिवारों से हैं। दिहाड़ी मजदूर विकास यादव और उनकी पत्नी कुंती ने 27 सितंबर को अपने छोटे बेटे को खो दिया, क्योंकि उसने भी वही मिलावटी सिरप पिया था। 

आंखों में आंसू और रूंधी हुई आवाज में यादव ने कहा, "हमने इलाज के लिए रिश्तेदारों और ग्रामीणों से लगभग पांच लाख रुपये उधार लिए। अब हम क़र्ज़ में डूबे हुए हैं, इसे चुकाने का कोई साधन नहीं है।" इन पीड़ित परिवारों के लिए कुछ राहत की बात ये है कि मध्यप्रदेश सरकार ने प्रत्येक शोक संतप्त परिवार के लिए चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। हालांकि उनके दर्द और उनकी वित्तीय चिंताओं के सामने नाकाफी है। 

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को छिंदवाड़ा में कुछ प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सरकारी सहायता देने के साथ साथ जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "छिंदवाड़ा में हुई घटना के जवाब में हमने तमिलनाडु में संबंधित फैक्ट्री की दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। अन्य दो फैक्ट्रियों की दवाओं पर भी प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार को पूरी घटना के बारे में सूचित कर दिया गया है। हम संवेदनशीलता के साथ शासन करते हैं।" 

उन्होंने कहा कि सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और सरकार पर प्रशासनिक विफलता का आरोप लगाया, स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला के इस्तीफे की मांग की। जहरीला कफ सिरप पीने से छिंदवाड़ा के अब तक 14 बच्चों की किडनी खराब होने से मौत हो गई। इन 14 मृतकों में से 11 परासिया उपमंडल से, दो छिंदवाड़ा शहर से और एक चौरई तहसील से हैं। 

अधिकारियों के अनुसार, नागपुर में आठ बच्चों का इलाज हो रहा है। इनमें से चार एक सरकारी अस्पताल में, एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में और तीन निजी अस्पतालों में हैं। मध्यप्रदेश पुलिस ने मौतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है और तमिलनाडु में स्थित कोल्ड्रिफ कफ सिरप की निर्माता कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 

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