Edited By Mansa Devi,Updated: 10 Aug, 2025 04:03 PM

सड़क पर लगा ट्रैफिक जाम सिर्फ़ लोगों का समय बर्बाद नहीं करता, बल्कि कभी-कभी किसी की जान भी ले लेता है। मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाईवे (NH-48) पर ऐसी ही एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ 49 साल की छाया पूरब की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन 4 घंटे के लंबे...
नेशनल डेस्क: सड़क पर लगा ट्रैफिक जाम सिर्फ़ लोगों का समय बर्बाद नहीं करता, बल्कि कभी-कभी किसी की जान भी ले लेता है। मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाईवे (NH-48) पर ऐसी ही एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ 49 साल की छाया पूरब की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन 4 घंटे के लंबे ट्रैफिक जाम ने उन्हें अस्पताल पहुँचने नहीं दिया। डॉक्टरों का कहना है कि अगर वे सिर्फ़ 30 मिनट पहले भी अस्पताल पहुँच जातीं, तो उनकी जान बच सकती थी।
कैसे हुआ हादसा?
यह घटना 31 जुलाई की है, जब पालघर के मधुकर नगर में रहने वाली छाया पूरब सड़क की सफ़ाई के काम की निगरानी कर रही थीं। तभी अचानक एक पेड़ उन पर गिर गया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। पालघर में बड़ा ट्रॉमा सेंटर न होने की वजह से, उन्हें तुरंत एंबुलेंस से मुंबई के हिंदुजा अस्पताल ले जाने का फैसला किया गया।
जाम में फंसी ज़िंदगी की उम्मीद
एंबुलेंस मुंबई के लिए रवाना तो हुई, लेकिन मनोर से मीरा रोड तक पूरे हाईवे पर गाड़ियों का लंबा जाम लगा था। उनकी एंबुलेंस इस भयानक ट्रैफिक जाम में बुरी तरह फंस गई। इस दौरान, एनेस्थीसिया का असर खत्म होने लगा और छाया की हालत तेज़ी से बिगड़ने लगी। चार घंटे तक जाम में फंसे रहने के बाद, जब एंबुलेंस जाम से निकली, तो उन्हें पास के मीरा रोड के ऑर्बिट अस्पताल ले जाया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुँचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। यह घटना NH-48 की बदहाली और उसकी अनदेखी को उजागर करती है। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब इस हाईवे के जाम में किसी को परेशानी हुई हो, लेकिन इस बार लापरवाही की कीमत एक जान देकर चुकानी पड़ी।