Edited By Mehak,Updated: 10 Dec, 2025 04:47 PM

गरुड़ पुराण में भगवान कृष्ण ने मृत्यु और उसके रहस्यों के बारे में महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। इसके अनुसार, व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्म उसकी मृत्यु और जीवन के अंतिम अनुभव को तय करते हैं। मृत्यु के संकेतों में शारीरिक कमजोरी, हल्का महसूस करना और...
नेशनल डेस्क : सनातन धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक गरुड़ पुराण भगवान विष्णु को समर्पित है। यह पुराण न केवल जीवन के धर्म और कर्म की जानकारी देता है, बल्कि मृत्यु और उसके संकेतों के बारे में भी महत्वपूर्ण बातें बताता है।
जीवन और कर्म
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति की मृत्यु उसके कर्मों पर निर्भर करती है। अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति का अंत शांतिपूर्ण होता है, जबकि अधर्मी और दुष्कर्मी व्यक्ति को दर्दनाक मृत्यु का सामना करना पड़ सकता है। पुराण के अनुसार, व्यक्ति के जीवन में सात चक्र होते हैं, और ये चक्र पूरा होने पर मृत्यु और मोक्ष का मार्ग तय होता है।
मृत्यु के 4 निकट लक्षण
गरुड़ पुराण में मृत्यु के कुछ प्रमुख लक्षण बताए गए हैं:
1. शारीरिक कमजोरी – अचानक खाने-पीने में रुचि न होना और शरीर में कमजोरी महसूस होना मृत्यु का संकेत हो सकता है।
2. बिना सोचे-समझे बोलना – व्यक्ति अचानक कुछ भी बोलने लगता है या हंसने लगता है, मस्तिष्क में रक्त संचार कम होने लगता है।
3. हल्का महसूस होना – शरीर हल्का और अस्वस्थ महसूस होने लगता है, और मृत्यु की ओर मानसिक तैयारी होती है।
4. दुनिया से दूरी बनाना – अंतिम क्षणों में व्यक्ति मोह-माया और सांसारिक चीजों से अलग होने लगता है, और आध्यात्मिक चेतना बढ़ जाती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, ये संकेत व्यक्ति के अंतिम समय की ओर इशारा करते हैं और उन्हें आत्मा की यात्रा की तैयारी करनी चाहिए। इस तरह गरुड़ पुराण न केवल मृत्यु की वास्तविकता को बताता है, बल्कि जीवन में अच्छे कर्म और धर्म के महत्व को भी उजागर करता है।