यू.पी. और हरियाणा में जाटों के वोट साधने के लिए दो अलग रणनीतियों पर काम कर रही है भाजपा

Edited By Mahima,Updated: 15 Mar, 2024 09:27 AM

u p and bjp is working on two different strategies to garner votes

भाजपा उत्तरी भारत में जाटों के वोट साधने के लिए दो अलग-अलग रणनीतियों के तहत काम कर रही है। भाजपा जहां उत्तर प्रदेश में जाट वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है, वहीं उसे हरियाणा में समुदाय के वोट विभाजन से लाभ मिलने की उम्मीद है।

नेशनल डेस्क: भाजपा उत्तरी भारत में जाटों के वोट साधने के लिए दो अलग-अलग रणनीतियों के तहत काम कर रही है। भाजपा जहां उत्तर प्रदेश में जाट वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है, वहीं उसे हरियाणा में समुदाय के वोट विभाजन से लाभ मिलने की उम्मीद है। 

जानकारों की मानें तो भाजपा ने एक रणनीति के तहत ही उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को अपनी आकर्षित किया है। रालोद सपा को छोड़ भाजपा के साथ खड़ा हो गया है, जाहिर है कि उसे इससे जाट वोट हासिल करने में आसानी होगी।  

जे.जे.पी. को दो सीट भी नहीं देना चाहती थी भाजपा
भाजपा ने जाटों की राजनीति को पटरी पर लाने के लिए रालोद के साथ दो सीटों पर समझौता किया, जबकि वह  पिछले चार साल से अधिक पुराने सहयोगी जे.जे.पी. को हरियाणा में दो लोकसभा सीटें देकर अपने साथ रखने को तैयार नहीं है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि दो राज्यों में जाटों के वोट बैंक को हासिल करने के लिए इस तरह भाजपा दोहरी रणनीति के तहत काम कर रही है। भाजपा को लगता है कि हरियाणा में जाटों के वोट विभाजन से उसे राज्य की दस सीटों पर काबिज होने में मदद मिलेगी। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में रालोद को साथ लेकर उसे जाट वोट बैंक से सीधा फायदा होगा।

नुकसान की भरपाई के लिए है रणनीति
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक गतिशीलता के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण जिम्मेदार  हैं। पश्चिमी यू.पी. में भाजपा से मुसलमानों के वोट सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर छिटक सकते हैं। जिसकी भरपाई भाजपा रालोद के जाट वोट बैंक से कर सकती है। हालांकि हरियाणा में भाजपा द्वारा किए गए कुछ आंतरिक सर्वेक्षणों से यह भी पता चलता है कि किसानों और पहलवानों के विरोध के बाद जाट मतदाताओं का एक वर्ग वापस कांग्रेस में चला जाएगा, जिसके राज्य में सबसे बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री भुपिंदर सिंह हुड्डा जाट समुदाय से ही हैं।

हरियाणा भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जाट वोटों के एकजुट होने से राज्य में गैर-जाट वोटों का एकीकरण होने की संभावना है और पार्टी को इसका फायदा होने की उम्मीद है। चूंकि भाजपा के पास हरियाणा में कोई करिश्माई जाट नेता नहीं है, इसलिए उसे उम्मीद है कि जे.जे.पी. कांग्रेस से जाट वोटों का एक हिस्सा छीन लेगी।

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