ऑफ द रिकॉर्डः फोन टैपिंग और रिकॉर्डिंग में क्या है अंतर !

Edited By Pardeep,Updated: 26 Jul, 2020 04:07 AM

what s the difference between phone tapping and recording

राजस्थान के सियासी घमासान में फोन टैपिंग अहम मुद्दा बन गया है। भाजपा और कांग्रेस इस मामले में एक- दूसरे पर सवाल खड़े कर रही हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को फोन टैप

नेशनल डेस्कः राजस्थान के सियासी घमासान में फोन टैपिंग अहम मुद्दा बन गया है। भाजपा और कांग्रेस इस मामले में एक- दूसरे पर सवाल खड़े कर रही हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को फोन टैप कराने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए खास प्रक्रिया का कड़ाई से पालन होना जरूरी है। 

आई.टी. कानून के जाने -माने विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने बताया कि देश की एकता- अखंडता को खतरे, मित्र देशों से संबंधों के बिगडऩे या फिर किसी अपराध को रोकने के लिए फोन टैपिंग कराई जा सकती है। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 69 के तहत इसके लिए वाजिब कारण और सक्षम अधिकारी का आदेश होना जरूरी है। राजस्थान के मामले में फोन टैपिंग को गृह सचिव या मुख्य सचिव की मंजूरी जरूरी है, यदि इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया तो रिकॉर्ड की बातचीत को सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। 

एक अन्य विशेषज्ञ ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस मामले में फोन टैपिंग और फोन रिकॉर्डिंग पूरी तरह से अलग- अलग मामले हैं, जब दो लोगों के बीच की बातचीत को उनकी जानकारी के बिना तीसरे पक्ष द्वारा सुना या रिकॉर्ड किया जाता है, उसे फोन टैपिंग कहा जाता है। 

यह पूरी तरह से संविधान में दिए गए निजता के मौलिक अधिकार का हनन करता है और गैरकानूनी है। फोन रिकॉर्डिंग में दो पक्षों के बीच होने वाली बातचीत को एक पक्ष द्वारा रिकॉर्ड कर लिया जाता है जो कि आजकल हर मामूली स्मार्टफोन में किया जा सकता है। इसके लिए किसी प्रकार की मंजूरी की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में जिस तरह ऑडियो क्लिप सामने आई है, वह पहली नजर में फोन रिकॉर्डिंग मालूम पड़ती है। 

 

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