'आई मैं क्यूंकर आऊं, मेरा ससुरा रोज लड़े सै', जब हरियाणा की महिला किसान ने उपराष्ट्रपति धनखड़ को सुनाया गाना

Edited By Yaspal,Updated: 12 Jan, 2024 08:03 PM

when a female farmer from haryana sang the song to vice president dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि किसानों को कृषि व्यापार में आना चाहिए और बाजार में अपनी जगह बनानी चाहिए। धनखड़ ने आज संसद भवन भ्रमण के लिए हरियाणा के हिसार से आये किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मंडी के अंदर किसानों की दुकान भी होनी...

नेशनल डेस्कः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि किसानों को कृषि व्यापार में आना चाहिए और बाजार में अपनी जगह बनानी चाहिए। धनखड़ ने आज संसद भवन भ्रमण के लिए हरियाणा के हिसार से आये किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मंडी के अंदर किसानों की दुकान भी होनी चाहिए और किसान के बच्चों को व्यापार में आना चाहिए। भ्रमण के बाद किसान उपराष्ट्रपति निवास पर पहुंचे जहां किसान भाई-बहनों का स्वागत सत्कार सुदेश धनखड़ ने किया। इनमें कई गांवों के 40 किसान शामिल थे जिनमें 10 महिला किसान भी थीं।

उपराष्ट्रपति निवास पर हरियाणा की उत्साही महिला किसानों ने स्वरचित लोकगीत - 'जगदीप धनखड़ ने फोन करया था जल्दी आइयो संसद में... आई मैं क्यूंकर आऊं, मेरा ससुरा रोज लड़े सै'- गाया। धनखड़ ने किसानों से कहा कि दुनिया में सबसे बड़ा व्यापार कृषि उत्पादन का है। गेहूं, बाजरा, चावल, दाल, सब्जी, दूध सब कृषि का है और किसान इनको पैदा करता है। उन्होंने कहा कि केवल खेती नहीं, बल्कि कृषि उत्पादों के व्यापार में भी किसानों को दिलचस्पी लेनी चाहिए।

धनखड़ ने कहा, ' किसान की मंडी के अंदर दुकान भी होनी चाहिए और किसान के बच्चों को व्यापार में पड़ना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा, 'हमें ऐसा लगता है कि छोरा पढ़ लिखकर यह व्यापार क्यों करें? उसे तो नौकरी करनी चाहिए। व्यापार में बहुत दम है। यह संकल्प ले लेना चाहिए कि अपने बच्चे पढ़ लिख के और भी काम करें पर कृषि के उत्पादन से व्यापार जरूर करें।''

छोरा-छोरी में कोई फर्क नहीं बचा
धनखड़ ने कहा कि किसान को अपने उत्पाद में मूल्यवर्धन करना चाहिए। दूध का पनीर, और सरसों का तेल निकालकर बेचना चाहिए। महिला किसानों से बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘छोरा-छोरी में कोई फर्क नहीं बचा है। जो थोड़ा एक फर्क है यह है कि छोरी थोड़ी ज्यादा आगे पहुंच गई है।'' हरियाणा के अखाड़ों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा,‘‘हमारे अखाड़े गुरुकुल जैसे हैं जब हरियाणा के अखाड़े के लोग मुझसे मिले थे, तो मैं तो उनसे मिलकर दंग रह गया। मैंने कहा बच्चों को दूध कहां से मिलता है, तो वह कहते हैं कि गांव के लोग देते हैं। खाने पीने की व्यवस्था कैसे होती है, तो बोले की सामूहिक रूप से होती है। बच्चे खूब एक्सरसाइज करते हैं। इसका मतलब बच्चों में कोई बुरी आदत नहीं आती है।''

गांव में भाईचारा बढ़ाया जाना चाहिए
उपराष्ट्रपति ने कहा, ' अखाड़े में जाने से बच्चों के बिल्कुल बुरी आदत नहीं आती है। अखाड़े का मतलब... अपना जो चरित्र है यह सोने का रहता है। अखाड़े में जाने वाला छोरा ड्रग कभी नहीं लेता। उसका ध्यान पॉजिटिव रहता है।' धनखड़ ने किसानों से अपील की कि गांव में भाईचारा बढ़ाया जाना चाहिए  उपराष्ट्रपति ने पिछले महीने 26 दिसंबर को हिसार स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान का दौरा किया था। तब धनखड़ ने वहां उपस्थित किसानों से मुलाकात की थी और उन्हें दिल्ली आकर नया संसद भवन देखने को आमंत्रित किया था।

उपराष्ट्रपति ने अपने देसी अंदाज में किसानों से कहा था, 'दिल्ली आवो थारो घर सै।' उपराष्ट्रपति के निमंत्रण पर आज केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक किसानों के साथ दिल्ली पहुंचे जहां उन्हें संसद भवन का भ्रमण कराया गया। उपराष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सभी किसानों ने संसद भवन में भोज किया।

 

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