Edited By Mehak,Updated: 23 Aug, 2025 12:04 PM

दिल्ली हाई कोर्ट ने भरण-पोषण से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि विधवा महिला अपने ससुर की पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण का दावा करने की हकदार है। यह फैसला न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने...
नेशनल डेस्क : दिल्ली हाई कोर्ट ने भरण-पोषण से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि विधवा महिला अपने ससुर की पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण का दावा करने की हकदार है।
यह फैसला न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने सुनाया। अदालत ने साफ किया कि चाहे ससुर के पास अलग से अर्जित की गई या निजी संपत्ति हो, लेकिन बहू का भरण-पोषण करने का दायित्व केवल पैतृक संपत्ति से ही बनता है। यह अधिकार उस समय लागू होगा जब ससुर की मृत्यु के बाद उनकी पैतृक संपत्ति उनके उत्तराधिकारियों में बंटेगी।
पीठ ने इस सवाल पर विचार किया कि क्या विधवा बहू अपने मृत ससुर की पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण का दावा कर सकती है या नहीं। अदालत ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19(1) बहू को यह वैधानिक अधिकार देती है कि अगर उसके पति की मृत्यु हो जाए तो वह अपने ससुर से भरण-पोषण की मांग कर सकती है। इस कानून से ससुर पर यह कानूनी दायित्व आता है कि वह अपनी पैतृक संपत्ति से बहू का भरण-पोषण सुनिश्चित करे।
अदालत ने आगे कहा कि अधिनियम की धारा 19(2) यह स्पष्ट करती है कि बहू का यह अधिकार ससुर की पैतृक संपत्ति तक ही सीमित है, निजी या स्व-अर्जित संपत्ति से इसका संबंध नहीं है। साथ ही अदालत ने अधिनियम की धारा 21(vii) का भी हवाला दिया, जिसमें साफ कहा गया है कि विधवा बहू अपने ससुर की पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण पाने की हकदार होती है।
यह फैसला उस याचिका पर आया जिसमें ट्रायल कोर्ट ने महिला की भरण-पोषण की अर्जी को खारिज कर दिया था। दरअसल, महिला मार्च 2023 में अपने पति की मृत्यु के बाद विधवा हो गई थी। वहीं, उसके ससुर का निधन दिसंबर 2021 में ही हो चुका था, यानी बेटे से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली इस याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया कि विधवा बहू को ससुर की पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण का वैधानिक अधिकार है।