Edited By Pardeep,Updated: 07 Jan, 2024 10:34 PM
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि तीन नए आपराधिक न्याय कानून ‘‘नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले'' की भावना के साथ बनाए गए हैं तथा पुलिस को अब डंडे के बजाय डेटा के साथ काम करने की जरूरत है।
जयपुरः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि तीन नए आपराधिक न्याय कानून ‘‘नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले'' की भावना के साथ बनाए गए हैं तथा पुलिस को अब डंडे के बजाय डेटा के साथ काम करने की जरूरत है। पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षकों (आईजीपी) के 58वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने पुलिस से महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे ‘‘कभी भी और कहीं भी'' निडर होकर काम कर सकें।''
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नए आपराधिक कानून ‘‘नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले' की भावना के साथ बनाए गए हैं और पुलिस को अब डंडे के साथ काम करने के बजाय डेटा के साथ काम करने की जरूरत है।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को क्रमशः भारतीय दंड संहिता-1860, दंड प्रक्रिया संहिता-1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर हाल में लाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये नए कानून भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव हैं।
मोदी ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों और नए कानूनों के तहत उन्हें प्रदान की गई सुरक्षा के बारे में जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। मोदी ने कहा कि भारतीय पुलिस को 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए खुद को एक आधुनिक और विश्व स्तरीय बल में बदलना चाहिए।