Edited By PTI News Agency,Updated: 02 Jun, 2020 11:25 PM
नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) 15वें वित्त आयोग के सदस्य अशोक लहरी ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने राजकोषीय विस्तार (घाटा बढ़ा कर खर्च) कर के मांग और आपूर्ति को बढ़ावा देने की जो नीति अपनायी है उससे निकने की कुशल रणनीति भी होनी चाहिए ताकि राजकोषीय...
नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) 15वें वित्त आयोग के सदस्य अशोक लहरी ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने राजकोषीय विस्तार (घाटा बढ़ा कर खर्च) कर के मांग और आपूर्ति को बढ़ावा देने की जो नीति अपनायी है उससे निकने की कुशल रणनीति भी होनी चाहिए ताकि राजकोषीय मजबूती के दीर्घकालिक लक्ष्य पूरे हो सकें।
उन्होंने मौद्रिक नीति को लेकर भी सतर्क किया और कहा कि जिन कर्ज पर सरकार की शत प्रतिशत गारंटी है बैंकों को ऐसे कर्ज के अंतिम इस्तेमाल को लेकर भी नजर रखनी चाहिये।
लहरी ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ के 125वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘ ... चतुर नीतियों में स्पष्ट निर्गम रणनीति भी होनी चाहिये। हम कई बार कह चुके हैं कि हम वित्तीय मजबूती लायेंगे, हम विस्तारवादी नीतियों की समस्या को सुलझा लेंगे। लेकिन हम अपने इन वादों को पूरा करने में ज्यादा सफल नहीं हुये।’’
वर्ष 2019- 20 के वित्त वर्ष में सरकार ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर लाने का बजट अनुमान रखा था लेकिन संशोधित अनुमान में इसे बढ़ाकर 3.8 प्रतिशत कर दिया। लेकिन वास्तविक राजकोषीय घाटा संशोधित अनुमान से भी उपर निकलकर 4.59 प्रतिशत पर पहुंच गया। राजकोषीय घाटा सरकार की कुल प्राप्ति और खर्च के बीच का अंतर होता है।
लहरी ने कहा कि यह समय है जब ऐसी नीतियों के बारे में सोचा जाना चाहिये जिनसे कि मांग और आपूर्ति दोनों बढ़ें और धन की बर्बादी नहीं हो ऐसे ढांचागत कार्यों में खर्च किया जाये। ‘‘मैं मौद्रिक नीति को लेकर भी निगरानी चाहूंगा। ऐसा कर्ज जिस पर सरकार ने 100 प्रतिशत गारंटी दी है बैंकों को इस पर गौर करना चाहिये और इस तरह के कर्ज का इस्तेमाल कहां हो रहा है उस की निगरानी रखनी चाहिये।’’
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