Edited By PTI News Agency,Updated: 29 Nov, 2021 10:44 PM

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) राज्यसभा के अगस्त में हुए मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए 12 सदस्यों को सोमवार को वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करना उच्च सदन के इतिहास में ऐसी सबसे बड़ी कार्रवाई है।
नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) राज्यसभा के अगस्त में हुए मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए 12 सदस्यों को सोमवार को वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करना उच्च सदन के इतिहास में ऐसी सबसे बड़ी कार्रवाई है।
उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
संसदीय रिकॉर्ड की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि यह राज्यसभा से सबसे बड़ी संख्या में सदस्यों का निलंबन है।
इससे पहले 2020 में आठ सांसदों को निलंबित किया गया था, जो दूसरी सबसे ज्यादा संख्या थी। इनमें डेरेक ओ ब्रायन (तृणमूल कांग्रेस), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी), राजीव सातव (कांग्रेस), केके नागेश (माकपा), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस) और इलामारम करीम (माकपा) शामिल हैं।
वर्ष 2010 में राज्यसभा से सात सदस्यों को निलंबित किया गया था।
वरिष्ठ नेता एवं स्वतंत्रता सैनानी राज नारायण को राज्यसभा से चार बार निलंबित किया गया था, जबकि उपसभापति रहे गोदे मुहारी को दो बार उच्च सदन से निलंबित किया गया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।