भारत वैश्विक मुद्दों पर जी-20 देशों के बीच सहमति बनाने का प्रयास करेगा: जयशंकर

Edited By Updated: 07 Dec, 2022 07:09 PM

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नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान ‘वैश्विक दक्षिण’ क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों के साथ ही कई वैश्विक मुद्दों पर जी-20 देशों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास करेगा...

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान ‘वैश्विक दक्षिण’ क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों के साथ ही कई वैश्विक मुद्दों पर जी-20 देशों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास करेगा क्योंकि यह बैठक ‘‘भू-राजनीतिक संकट, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और टिकाऊ विकास लक्ष्य की गति’’ के व्यापक संदर्भ में आयोजित की जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत इस अवसर का उपयोग देश के ‘‘थ्री डी’’ यानी डेमोक्रेसी, डेवलपमेंट और डायवर्सिटी (लोकतंत्र, विकास और विविधता) को रेखांकित करने के लिए करेगा।

जयशंकर ने राज्यसभा में ‘‘भारत की विदेश नीति में नवीनतम घटनाक्रमों’’ विषय पर एक बयान देते हुए कहा, ‘‘हम जी-20 की अध्यक्षता को दुनिया के सामने भारत को प्रदर्शित करने के अवसर के रूप में देखते हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत न केवल इसमें भाग लेगा बल्कि इस अवसर का ‘‘जश्न’’ भी मनाएगा।

भारत ने एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता औपचारिक रूप से संभाली।
उन्होंने कहा कि सरकार जी-20 के सभी सदस्यों से भारत की अध्यक्षता में होने वाले इस आयोजन की सफलता के लिए समर्थन और सहयोग भी मांग रही है।
उन्होंने कहा कि जी-20 बैठकों का आयोजन भारत की मेजबानी में होने वाले ‘‘शीर्ष अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में से एक’’ होगा।

विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 से जुड़ी बैठकें भारत में पहले ही शुरू हो चुकी हैं और देश भर में विभिन्न स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी 200 बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

जयशंकर ने कहा कि जी-20 की बैठक ‘‘भू-राजनीतिक संकट, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और टिकाऊ विकास लक्ष्य की गति और कर्ज के बढते बोझ’’ के व्यापक संदर्भ में आयोजित की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्रयास जी-20 के भीतर आम सहमति बनाना और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को आकार देना और साथ ही इस एजेंडे को आगे बढ़ाना है।’’
ज्ञात हो कि ‘वैश्विक दक्षिण’ (ग्लोबल साउथ) का आशय अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबियाई क्षेत्र, प्रशांत द्वीप एवं एशिया के विकासशील देशों से हैं जो दक्षिणी गोलार्द्ध पर स्थित हैं।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि भारत को ‘‘आजादी के अमृत महोत्सव’’ में जी-20 की अध्यक्षता मिलना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।

हाल ही में इंडोनेशिया के बाली में संपन्न जी-20 की बैठक में भारत ने पूरा समर्थन व सहयोग सुनिश्चित किया था।

जयशंकर ने कहा कि ध्रुवीकरण वाले माहौल में सदस्यों के बीच एक साझा आधार खोजने में भारत के योगदान की व्यापक रूप से सराहना की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हम जिम्मेदारी (जी-20 की अध्यक्षता) संभाल रहे हैं, इसलिए यह भारत की अध्यक्षता की सफलता के लिए सभी जी 20 सदस्यों का समर्थन और सहयोग मांगने का भी समय है।’’
जी-20 के सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

जी-20 समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 85 प्रतिशत, विश्वव्यापी व्यापार के 75 प्रतिशत और वैश्विक आबादी के दो तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

इसके अलावा, उन्होंने उच्च सदन में यह भी बताया कि भारत ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को अगले साल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक गणतंत्र दिवस समारोह का सवाल है, हमने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और उन्होंने विनम्रतापूर्वक निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।’’
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि काशी को 2022-23 के लिए पहली एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी के रूप में नामित किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमारी सदियों पुरानी ज्ञान विरासत और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी।’’
जयशंकर ने कहा कि भारत ब्रिक्स और राष्ट्रमंडल और हाल ही में क्वाड, एससीओ, आई2यू2 (भारत, इजराइल, यूएई और अमेरिका) और हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे जैसे समूहों का भी सदस्य है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनिया को समूह प्रारूपों में भी तेजी से जोड़ रहे हैं, जो भारत के साथ सहयोग करने में उनकी बढ़ती रुचि को दर्शाता है। यह आसियान, अफ्रीका या प्रशांत द्वीप समूह या वास्तव में नॉर्डिक राष्ट्रों, कैरीकॉम, सीईएलएसी या मध्य एशिया के साथ हो सकता है। यूरोपीय संघ के साथ हमारा बढ़ता सहयोग विशेष महत्व का है।’’
भारत अगले साल जनवारी में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस की भी मेजबानी करेगा।



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