अदालत ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण की याचिका पर केंद्र और जामिया मिल्लिया का रुख पूछा

Edited By PTI News Agency,Updated: 29 Mar, 2023 05:55 PM

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नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधी याचिका पर बुधवार को केंद्र सरकार और जामिया मिल्लिया इस्लामिया का रुख जानना चाहा।

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधी याचिका पर बुधवार को केंद्र सरकार और जामिया मिल्लिया इस्लामिया का रुख जानना चाहा।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कानून की पढ़ाई करने वाली छात्रा आकांक्षा गोस्वामी की ओर से दायर की गयी जनहित याचिका पर जामिया, शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को नोटिस जारी किया।

आकांक्षा गोस्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि विश्वविद्यालय को संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम- 2019 के संदर्भ में शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 से दाखिले के समय ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित करनी चाहिए।

संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम- 2019 के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

उच्च न्यायालय में जामिया की ओर से पेश हुए वकील प्रीतीश सभरवाल ने कहा कि यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है जिसे कानून के तहत कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं।

वहीं, याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने तर्क दिया कि जामिया को ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसे यूजीसी से सहायता प्राप्त होती है।

अदालत ने निर्देश दिया कि याचिका को आगे की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को सूचीबद्ध किया जाए, उसी दिन जामिया के अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित एक अन्य मामले पर भी विचार किया जाएगा।



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