पलानीस्वामी बने अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव; पनीरसेल्वम पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित

Edited By PTI News Agency,Updated: 11 Jul, 2022 10:06 PM

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चेन्नई, 11 जुलाई (भाषा) अन्नाद्रमुक ने सोमवार को तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल में दोहरे नेतृत्व के मॉडल को खत्म करने के लिए एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) को अपना अंतरिम महासचिव चुना और ओ पनीरसेल्वम (ओपीएस) को पार्टी हितों के खिलाफ काम...

चेन्नई, 11 जुलाई (भाषा) अन्नाद्रमुक ने सोमवार को तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल में दोहरे नेतृत्व के मॉडल को खत्म करने के लिए एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) को अपना अंतरिम महासचिव चुना और ओ पनीरसेल्वम (ओपीएस) को पार्टी हितों के खिलाफ काम करने के आरोप में इसकी प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया।

अन्नाद्रमुक की आम परिषद की एक बैठक में 68 वर्षीय पलानीस्वामी को पार्टी का सर्वोच्च नेता चुना गया और मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिद्वंद्वी गुट की बैठक पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली पनीरसेल्वम की याचिका को खारिज किए जाने के तुरंत बाद एक लंबे आंतरिक सत्ता संघर्ष के बीच उन्हें (पलानीस्वामी) पार्टी संचालन के लिए पूर्ण अधिकार दे दिए गए।

एकल न्यायाधीश ने कहा कि अदालतें निश्चित रूप से पार्टी के निजी मामलों में हस्तक्षेप करने से परहेज करेंगी।

आम परिषद की एक विवाह मंडप में बैठक से पहले, पलानीस्वामी (ईपीएस) और पनीरसेल्वम (ओपीएस) के समर्थकों के बीच अन्नाद्रमुक मुख्यालय और उसके आस-पास हिंसा हुई, जिसके बाद अधिकारियों ने परिसरों को सील कर दिया। झड़प में कुछ लोगों के घायल होने की भी खबर है।

अन्नाद्रमुक, जिसने क्रमशः पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी के कब्जे वाले समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के पूर्व शीर्ष दो पदों को खत्म करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया, ने पांच दिसंबर, 2016 को अपनी प्रमुख जयललिता की मृत्यु के बाद एकता बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की है।

जवाबी कदम में, पनीरसेल्वम ने पलानीस्वामी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से "निष्कासित" कर दिया।

पलानीस्वामी और 71 वर्षीय पनीरसेल्वम दोनों पूर्व मुख्यमंत्री हैं। पनीरसेल्वम दिवंगत जयललिता के भरोसेमंद वफादार थे।

अन्नाद्रमुक ने औपचारिक रूप से एक महासचिव का चुनाव करने के लिए चार महीने में संगठनात्मक चुनाव कराने का भी संकल्प लिया। इसने कई उपनियमों में संशोधन किया है जिसमें पार्टी के शीर्ष पद के लिए लड़ने के वास्ते नए मानदंड और पूर्वापेक्षाएँ शामिल हैं।

न्यायमूर्ति कृष्णन रामास्वामी ने फैसला सुनाया जिसने ईपीएस गुट को अन्नाद्रमुक की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई आम परिषद की बैठक आयोजित करने की अनुमति दे दी।

अदालत ने पनीरसेल्वम के बार-बार अदालत का रुख करने को लेकर नाराजगी भी जाहिर की।
न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान मामले में, आवेदक अपने बचाव के लिए अदालतों को उपकरण के रूप में उपयोग करने की कोशिश में अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, जिनको पार्टी के सदस्यों से समर्थन नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि यह खेदजनक है कि समन्वयक पद पर काबिज नेता के पास सदस्यों का विश्वास हासिल करने के बजाय बार-बार अदालत आने और हस्तक्षेप का अनुरोध करने का समय है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ आवेदक जो हासिल नहीं कर पा रहा है, वह अदालत के जरिए उसे पाना चाहता है, लेकिन अदालत सिर्फ एक या दो सदस्यों के कहने पर पार्टी के हजारों अन्य सदस्यों के हितों के खिलाफ पार्टी के निजी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।’’
तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक में जारी कलह और उठापटक के मद्देनजर जहां सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) चुनावी लिहाज से काफी फायदेमंद स्थिति में है, वहीं फिलहाल हाशिये पर खड़ी भाजपा चुनावी राजनीति में अधिक हिस्सेदारी की आकांक्षा पाल सकती है।
हालांकि, अन्नाद्रमुक के अधिकतर पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी कद्दावर नेता ई.के पलानीस्वामी के समर्थन में खड़े दिखते हैं, लेकिन तमिलनाडु के चुनिंदा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं के कई धड़ों में निष्कासित नेता ओ पनीरसेल्वम का भी प्रभाव है।
ठीक इसी समय वीके शशिकला, दिवंगत पार्टी दिग्गज जे जयललिता की भरोसेमंद, भी दिवंगत नेता की विरासत पर दावा कर रही हैं। शशिकला ने ऐलान किया है कि पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी, दोनों ही ‘‘छाया मात्र’’ हैं, जबकि वह एक मात्र ‘‘सच’’ हैं। यानी वह खुद को वास्तविक नेता बता रही हैं।
पलानीस्वामी ने बैठक में अपने भाषण में कहा कि एकल नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों की इच्छा के अनुरूप है।

उन्होंने ओपीएस पर हमला करते हुए उन्हें मतलबी करार दिया और आरोप लगाया कि पूर्व पार्टी समन्वयक ने सत्ताधारी द्रमुक के साथ सांठगांठ करके अन्नाद्रमुक के मुख्यालय पर हमले का ताना-बाना बुना।
हालांकि, द्रमुक ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्षी दल के मामलों से उसका कोई लेना-देना नहीं है।
पार्टी ने पनीरसेल्वम को कोषाध्यक्ष के पद से हटाने के साथ ही प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। इसने उनके समर्थकों-आर वैथीलिंगम, पी एच मनोज पांडियन- दोनों विधायक और पूर्व विधायक जेसीडी प्रभाकर को भी निष्कासित कर दिया।

पनीरसेल्वम ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें "1.5 करोड़" पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा समन्वयक के रूप में चुना गया था और न तो पलानीस्वामी और न ही किसी अन्य नेता के पी मुनुसामी को उन्हें निष्कासित करने का अधिकार था।

पनीरसेल्वम ने उन्हें "एकतरफा" ढंग से और पार्टी के नियमों के विरुद्ध निष्कासित करने के लिए दोनों की निंदा करते हुए कहा, "मैं उन्हें (अन्नाद्रमुक की) प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करता हूं"।

आगे की कार्रवाई के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्थन से न्याय के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाएंगे।



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