“ग्रहण” को मामूली समझने की भूल न करें

Edited By ,Updated: 10 Sep, 2015 01:11 PM

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ज्योतिष शास्त्र न केवल हजारों सालों से यह बताता आया है कि ग्रहण कब लगेंगे बल्कि यह भी बताता है कि धरती तथा धरती वासियों एवं अन्य ग्रहों पर भी ऐसी खगोलीय घटना का क्या प्रभाव पड़ता है।

ज्योतिष शास्त्र न केवल हजारों सालों से यह बताता आया है कि ग्रहण कब लगेंगे बल्कि यह भी बताता है कि धरती तथा धरती वासियों एवं अन्य ग्रहों पर भी ऐसी खगोलीय घटना का क्या प्रभाव पड़ता है। 
 
इस साल पहला सूर्य ग्र्रहण, 20 मार्च को लगा था जो भारत में नहीं दिखा था। उसके बाद चंद्रमा पर ग्रहण 4 अप्रैल को भारत के लगभग कई भागों में दिखा। हालांकि एस्ट्रॉनामी विज्ञान के अनुसार ग्रहण लगना एक खगोलीय घटना है। सूर्य ,चंद्र और पृथ्वी जब एक सीध में होते हैं और धरती की परछाईं चंद्र पर पड़े तो चंद्र किरण धूमिल हो जाती है इसे ही ग्रहण कहते हैं। 
 
चंद्र ग्रहण केवल पूर्णमासी पर ही लगता है और सूर्य ग्रहण अमावस पर ही दिखेगा। पौराणिक काल से राहू और केतु को समुद्र मंथन से जोड़ा गया है और ज्योतिष इन्हें छाया ग्रह मानता है। भूकंप आने व प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी भी ऐसी खगोलीय घटनाओं से की जाती है। 
 
सूर्य ग्रहण के समय वैज्ञानिक, सूर्य को नंगी आखों से न देखने की सलाह क्यों देते हैं यदि यह केवल मात्र खगोलीय घटना ही है। भारत की हर परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण रहे हैं। आज वैज्ञानिक सुपर कम्प्यूटर के माध्यम से ग्रहण लगने और समाप्त होने का समय बताते हैं जबकि महाभारत काल में तो हमारे वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों एवं गणितज्ञों ने त्रिकोणमिति अर्थात ट्रिग्नोमीट्री जो भारत की देन है की सहायता से  5000 साल पहले ही बता दिया था कि महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगेगा। 
 
पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने से जब भरी दोपहरी में अंधकार छा जाता है तो पक्षी भी अपने घोंसलों में लौट आते हैं। यह पिछले सूर्य ग्रहण के समय लोग देख चुके हैं और पूरे विश्व के वैज्ञानिक भी। तो ग्रहण का प्रभाव हर जीव जन्तु, मनुष्य, तथा अन्य ग्रहों पर पड़ता है। गुरुत्वाकर्षण घटने या बढऩे से धरती पर भूकंप आने की संभावना ग्रहण के 41 दिन पहले या बाद तक रहती है।
 
दूसरी बात यह कि मीडिया नासा के हवाले से कह रहा है, कि नवंबर में मंगल व गुरु के कारण धरती पर पूर्ण अंधकार या टोटल ब्लैक आऊट हो जाएगा।  भारतीय वैदिक ज्योतिषीय गणना के अनुसार ऐसी घटना इस सदी में तो क्या अगली भी किसी सदी में नहीं घटेगी। अत: जनता ऐसी खबरों पर ध्यान न दे और न ही विचलित हो।

पश्चिमी देशों के लोग समय-समय पर ऐसी अवैज्ञानिक बातें फैलाते रहते हैं जैसे  दुनिया समाप्त होने की अफवाह उड़ा दी या किसी धूमकेतु के गिरने की। भारतीय ज्योतिष तो प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी सदियों से देता आ रहा है। 

—मदन गुप्ता सपाटू

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