Edited By Shubham Anand,Updated: 21 Dec, 2025 12:06 PM
आंध्र प्रदेश के तिरुमाला पहाड़ियों में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर हिंदू मंदिरों में गिना जाता है। मंदिर के पास हजारों किलो सोना, करोड़ों रुपये नकद और देश-विदेश में फैली संपत्तियां हैं। आनंद निलयम नामक सोने से मढ़ा शिखर और भक्तों...
नेशनल डेस्क : दुनिया के सबसे अमीर धार्मिक स्थलों की चर्चा हो और तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम न लिया जाए, ऐसा संभव नहीं है। आंध्र प्रदेश के तिरुमाला की पावन पहाड़ियों पर स्थित भगवान वेंकटेश्वर का यह दिव्य धाम न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी विशाल संपत्ति, भारी दान-राशि और स्वर्ण भंडार के कारण भी पूरी दुनिया में विशेष पहचान रखता है। हर वर्ष देश-विदेश से लाखों-करोड़ों भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं और मन्नत पूरी होने पर खुले दिल से दान करते हैं।
मंदिर की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका मुख्य शिखर, जिसे ‘आनंद निलयम’ कहा जाता है, पूरी तरह सोने की परतों से मढ़ा हुआ है। यह शिखर दूर से ही चमकता हुआ नजर आता है और श्रद्धालुओं के मन में श्रद्धा का भाव भर देता है। तिरुपति बालाजी मंदिर को दुनिया के सबसे अमीर हिंदू मंदिरों में गिना जाता है।
कितना अमीर है तिरुपति बालाजी मंदिर?
आंकड़ों के मुताबिक, तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट के पास हजारों किलो सोना, लाखों करोड़ रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्तियां और देश-विदेश में फैली कई संपत्तियां मौजूद हैं। विभिन्न रिपोर्टों और मंदिर ट्रस्ट द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, मंदिर के पास 1000 करोड़ रुपये से अधिक की नकद राशि अलग-अलग बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के रूप में जमा है।
स्वर्ण भंडार की बात करें तो मंदिर के पास करीब 1000 किलो से भी अधिक सोना है, जिसे बैंक की गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के तहत सुरक्षित रखा गया है। यह सोना भक्तों द्वारा वर्षों में दान के रूप में अर्पित किया गया है।
कहां स्थित है तिरुपति बालाजी मंदिर?
तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुमाला पहाड़ियों पर बनाया गया है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 853 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का यह स्थल भक्तों को विशेष शांति और श्रद्धा का अनुभव कराता है। ऐतिहासिक ग्रंथों और शिलालेखों के अनुसार, मंदिर का निर्माण लगभग 9वीं शताब्दी में माना जाता है। समय-समय पर पल्लव, चोल और विजयनगर साम्राज्य जैसे शक्तिशाली राजवंशों ने इसके विस्तार, संरक्षण और सौंदर्यीकरण में अहम भूमिका निभाई।
द्रविड़ शैली की बेमिसाल वास्तुकला
तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण कोविल और द्रविड़ वास्तुकला शैली में किया गया है। ऊंचे और भव्य गोपुरम, सुंदर नक्काशी से सजे स्तंभ और विशाल प्रांगण इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। मंदिर की वास्तुकला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि कला और शिल्प का भी उत्कृष्ट उदाहरण मानी जाती है।
सोने से दमकता आनंद निलयम
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसका विमान यानी शिखर है, जिसे ‘आनंद निलयम’ कहा जाता है। इस शिखर पर सोने की मोटी परत चढ़ाई गई है, जिसकी चमक कई किलोमीटर दूर से देखी जा सकती है। भक्तों द्वारा दान किए गए टनों सोने का उपयोग न केवल इस शिखर को सजाने में किया गया है, बल्कि मंदिर के गर्भगृह की शोभा बढ़ाने में भी किया गया है।
हर साल टनों में होता है दान
तिरुपति बालाजी मंदिर में हर साल टनों के हिसाब से सोना और चांदी दान में प्राप्त होती है। भक्त अपने बाल, आभूषण, नकद धनराशि और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित करते हैं। मंदिर की हुंडी में प्रतिदिन करोड़ों रुपये की दान-राशि जमा होती है, जो इसे दुनिया के सबसे अधिक दान प्राप्त करने वाले धार्मिक स्थलों में शामिल करती है।
मंदिर का प्रबंधन: तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम
मंदिर का संचालन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा किया जाता है। यह ट्रस्ट न केवल पूजा-पाठ और दर्शन व्यवस्था को संभालता है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा से जुड़े कई कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाता है। TTD द्वारा अस्पताल, शिक्षण संस्थान और विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जाती हैं।
भगवान वेंकटेश्वर में अटूट विश्वास
तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य आराध्य भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर स्वरूप हैं, जिन्हें श्रद्धालु बालाजी महाराज के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। यही कारण है कि भक्त यहां बार-बार दर्शन के लिए आते हैं और अपनी श्रद्धा के प्रतीक के रूप में दान करते हैं। आस्था, विश्वास और भक्ति का यही संगम तिरुपति बालाजी मंदिर को दुनिया के सबसे विशेष और समृद्ध धार्मिक स्थलों में स्थान दिलाता है।