भगवान को देखने से पहले रखें कुछ बातों का ध्यान अन्यथा दरिद्र हो जाएंगे आप

Edited By ,Updated: 16 Jan, 2016 02:30 PM

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प्रत्येक हिंदू घर में भगवान का एक निश्चित स्थान होता है जिसे मंदिर कहा जाता है।उनकी कृपा और अशीर्वाद पाने के लिए प्रतिदिन उनके स्वरूप को प्रणाम किया जाता है। क्या आप जानते हैं

प्रत्येक हिंदू घर में भगवान का एक निश्चित स्थान होता है जिसे मंदिर कहा जाता है।उनकी कृपा और अशीर्वाद पाने के लिए प्रतिदिन उनके स्वरूप को प्रणाम किया जाता है। क्या आप जानते हैं भगवान को अपने घर स्थान देने से पहले या उन्हें नजर भर देखने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है अन्यथा जीवन में कष्ट भोगने पड़ते हैं और अलक्ष्मी आपके घर में निवास बनाए रखती हैं।   
 
शास्त्रों में कहा गया है भगवान का स्वरूप घर में स्थापित करने से पहले ध्यान रखें की उनकी पीठ दिखाई न दे। स्वरूप को या तो कपड़े से ढक दें अथवा दीवार के साथ लगा दें।
 
वैसे तो मंदिर में केवल एक ही भगवान का स्वरूप स्थापित होना चाहिए। एकनिष्ठ होकर की गई भक्ति ही उत्तम फल देती है। आमतौर पर घर में बहुत सारे देवी-देवताओं को स्थान दिया जाता है। वास्तु के अनसार एक भगवान के दो स्वरूप आस-पास या आमने सामने रखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
 
भगवान के स्वरूप को जब मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है तो उसके साथ एक भावनात्मक प्रेम हो जाता है। ऐसे में अगर वो खंडित हो जाए या उसकी सुंदरता में कोई कमी आ जाए तो उसे घर में न रखें। उनको किसी बहती पवित्र नदी में विसर्जित कर दें। वास्तुशास्त्री मानते हैं की खंडित और आभाहीन स्वरूप के दर्शन करने से हानि और कष्ट होता है।
 

भगवान का स्वरूप खरीदने से पहले ध्यान रखें उनका मुखड़ा सौम्य और हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में होना चाहिए। रौद्र और निर्जन स्वरूप को घर में स्थान देने से नकारात्मक उर्जा और दरिद्रता का संचार होता है। 

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