बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में भाजपा, माकपा को बाबुल सुप्रियो को कड़ी टक्कर देने की उम्मीद

Edited By PTI News Agency,Updated: 03 Apr, 2022 04:38 PM

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कोलकाता, तीन अप्रैल (भाषा) दक्षिण कलकत्ता स्थित बालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो को विपक्षी भाजपा और माकपा कड़ी टक्कर देने की उम्मीद कर रही हैं। यह विधानसभा क्षेत्र 2006 से टीएमसी का गढ़...

कोलकाता, तीन अप्रैल (भाषा) दक्षिण कलकत्ता स्थित बालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो को विपक्षी भाजपा और माकपा कड़ी टक्कर देने की उम्मीद कर रही हैं। यह विधानसभा क्षेत्र 2006 से टीएमसी का गढ़ रहा है और यहां मतदान 12 अप्रैल को होना है। इस निर्वाचन क्षेत्र में बिड़ला, थापर, मुखर्जी (मार्टिन एंड बर्न) और पुराने जमाने के जमींदारों के साथ-साथ उच्च मध्यम वर्ग के लोगों के मकान हैं। 1950 के दशक से इस निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी मुकाबला मॉर्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस के बीच हुआ करता था। झुग्गी बस्तियों और कुछ मध्यम वर्ग के लोग जहां वाम दलों का समर्थन करते थे, जबकि शेष मध्यम वर्ग और अमीर दूसरी ओर रहते थे। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के उदय के बाद गरीब और अमीर दोनों के वोट ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी को मिलने लगे। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भाजपा का जनाधार बढ़ने ने फिर से नये दक्षिणपंथी मतदाताओं का निर्माण किया है, जबकि वाम दल टीएमसी के प्रति असंतोष का कुछ लाभ उठाने की उम्मीद कर रहे हैं।

हालांकि, टीएमसी को ममता का जादू चलने का पूरा भरोसा है। टीएमसी उम्मीदवार सुप्रियो ने फोन पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मुझे पार्क सर्कस जैसे क्षेत्रों सहित पूरे निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। विपक्ष मेरे खिलाफ हर तरह के झूठे आरोप लगा रहा है क्योंकि उन्हें हार मिलने का पूरा यकीन है।’’ सुप्रियो अल्पसंख्यक बहुल मलिकबाजार क्षेत्र में घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं।

निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 2.5 लाख मतदाताओं में बंगाली एवं हिंदी भाषी, उर्दू भाषी मुसलमानों का मिश्रण है। साथ ही यहां आंग्ल भारतीय, ईसाई, पारसी और कुछ यहूदी भी हैं।

नवंबर, 2021 में बालीगंज विधानसभा सीट से विधायक सुब्रत मुखर्जी के निधन होने के चलते इस सीट के लिए उप चुनाव कराना जरूरी हो गया था। ममता बनर्जी कैबिनेट में मुखर्जी पंचायत मंत्री थे।

इस सीट पर, 2021 के विधानसभा चुनाव में, टीएमसी को 70 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे, वहीं भाजपा उम्मीदवार को करीब 20 प्रतिशत वोट मिले थे और वह दूसरे स्थान पर रही थी जबकि माकपा को 5.61 प्रतिशत वोट मिले थे।

चतुष्कोणीय मुकाबले में टीएमसी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को, भाजपा ने कीया घोष को, माकपा ने सायरा शाह हलीम को और कांग्रेस ने कमरुज्जमां चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।
सायरा हलीम भी घर-घर जाकर प्रचार कर रही हैं।

सुप्रियो के प्रचार अभियान की जिम्मेदारी संभाल रहे टीएमसी नेता बैस्वानोर चट्टोपाध्याय ने कहा कि वार्ड संख्या 60, 61, 64, 65 में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और उनका अनुमान है कि इनका कुल वोट 50 प्रतिशत से अधिक है। चट्टोपाध्याय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम मतदाताओं को मुसलमानों, हिंदुओं या बंगालियों और गैर-बंगालियों के नजरिये से नहीं देखते हैं। वे सभी बंगाल के लोग हैं जो यहां वर्षों से रह रहे हैं। यह भाजपा है जो उन्हें वर्गों में विभाजित करने की कोशिश करती है।’’सुप्रियो के खिलाफ एक परोक्ष अभियान शुरू किया गया है जिसमें उन्हें भाजपा से तृणमूल में जाने के लिए 'दलबदलू' कहा जा रहा है। इमामों के एक संगठन ने उनके खिलाफ बैठकें कीं जिसमें इसे उजागर किया गया था।

हालांकि, चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘‘बालीगंज में मुसलमान ममता बनर्जी को वोट देंगे जो धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और न्याय के पक्ष में खड़ी हैं। वे जानते हैं कि टीएमसी उनकी सच्ची दोस्त है जो लोगों को धार्मिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश नहीं करती है और यहां दशकों रहने वालों पर एनआरसी और सीएए का खतरे नहीं आने देती।’’हालांकि, शनिवार को कुछ वामपंथी सामाजिक संगठनों द्वारा निर्वाचन क्षेत्र में एक रैली आयोजित की गई थी, जिसने पहले ‘‘बाबुल सुप्रियो और भाजपा को वोट नहीं’’ के नारे के साथ एनआरसी और सीएए विरोधी प्रदर्शन किए थे।

बालीगंज में भाजपा के प्रचार अभियान की जिम्मेदारी संभाल रहीं पार्टी की दक्षिण कोलकाता जिला अध्यक्ष संघमित्रा चौधरी ने दावा किया, ‘‘हमारे प्रचार अभियान में हमने पाया है कि सुप्रियो की कोई स्वीकार्यता नहीं है। छात्र नेता अनीस खान की मौत और बोगतुई में निर्दोष महिलाओं और बच्चों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के नौ लोगों को जलाने की घटना ने इलाकों के मतदाताओं को झकझोर कर रख दिया है।’’भाजपा उम्मीदवार कीया घोष ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होने पर उन्हें निर्वाचन क्षेत्र के सभी वर्गों के मतदाताओं का आशीर्वाद मिलेगा। उन्होंने दावा किया, ‘‘दो महीने के भीतर अपना रंग और टिप्पणियां बदलकर बाबुल दा ने वैचारिक दृष्टि से अपनी विश्वसनीयता खो दी है।’’हालांकि आम मतदाताओं के पास चिंता करने के लिए अन्य चीजें हैं।

चाय की दुकान चलाने वाले और प्यारेबागन झुग्गी के रहने वाले बिप्लब मैती ने कहा कि वह रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर अधिक चिंतित हैं। मैती ने कहा, ‘‘मेरी पत्नी को लक्ष्मीर भंडार योजना में पैसा मिला और हम दीदी से प्यार करते हैं, मुझे बाबुल सुप्रियो का गाना पसंद है, लेकिन बस इतना ही।’’

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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