भाजपा सांसद अर्जुन सिंह दोबारा तृणमूल कांग्रेस में शामिल

Edited By Updated: 22 May, 2022 10:42 PM

pti west bengal story

कोलकाता, 22 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल में भाजपा को रविवार को एक और बड़ा झटका लगा है । पार्टी के सांसद अर्जुन सिंह दोबारा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। सिंह ने इसे अपनी पुरानी पार्टी में ‘‘सभी समस्याओं के समाधान के बाद घरवापसी’’ करार दिया।

कोलकाता, 22 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल में भाजपा को रविवार को एक और बड़ा झटका लगा है । पार्टी के सांसद अर्जुन सिंह दोबारा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। सिंह ने इसे अपनी पुरानी पार्टी में ‘‘सभी समस्याओं के समाधान के बाद घरवापसी’’ करार दिया।
भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष सिंह का तृणमूल कांग्रेस में स्वागत पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दक्षिण कोलकाता स्थित अपने कार्यालय में किया।
बनर्जीने ट्वीट किया,‘‘ श्री अर्जुन सिंह का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं जो भाजपा की विभाजनकारी शक्तियों को खारिज कर आज तृणमूल कांग्रेस परिवार में शामिल हुए हैं। पूरे देश में लोग समस्या का सामना कर रहे हैं और उन्हें अब हमारी पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। चलें इस संघर्ष को जिंदा रखें।’’
वर्ष 1998 से ही तृणमूल में रहे सिंह ने कहा कि ‘‘कुछ गलफहमियां’’ थी जिनकी वजह से उन्होंने तीन साल पहले पार्टी छोड़ दी थी।
उन्होंने कहा, ‘‘समस्या का अब समाधान हो गया है। हम (मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख)ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में एक परिवार की तरह काम करेंगे।’’
सिंह तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख हिंदीभाषी नेता हैं। उन्होंने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही तृणमूल छोड़ भाजपा का दामन थामा था और बैरकपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था।
पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई विधानसभा चुनाव के बाद से ही अपने कुनबे को एकजुट रखने के लिए संघर्ष कर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और अबतक पांच विधायक जिनमें भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय भी शामिल हैं पार्टी छोड़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
कई वरिष्ठ तृणमूल नेता जैसे राजीब बनर्जी और सब्याश्ची दत्ता ने भाजपा का दामन थामा था लेकिन अब वे भी ममता नीत पार्टी में लौट चुके हैं।

भाजपा को छोड़ने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग को नजर अंदाज कर रही है, जिसका आरोप वह गत कई हफ्तों से लगा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र की जूट नीति पर मेरे विरोध के बावजूद कुछ हासिल नहीं हुआ। सरकर ने हाल में कुछ कदम उठाए थे लेकिन वे बहुत मामूली कदम हैं। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है।’’
सिंह ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वस्त्र उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा कच्चे जूट की अधिकतम कीमत 6,500 रुपये प्रति कुंतल की सीमा को खत्म करने के केंद्र के फैसले की घोषणा के कई दिन बाद आई है। यह वह मांग थी जिसके लिए वह और जूट उद्योग दबाव डाल रहे थे।
सिंह ने भाजपा की कथित ‘‘ अव्यवहारिक’’राजनीति की निंदा करते हुए कहा कि जिन लोगों को संगठन को मजबूत करने की समझ नहीं है वे पार्टी चला रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई को फेसबुक और वातानुकूलित कमरे की राजनीति से बाहर आने की जरूरत है। बंगाल में अगर आप अपना संगठन खड़ा करना चाहते हैं, तो आपको सड़कों पर उतरना होगा आम लोगों से मिलना-जुलना होगा। उपदेश जारी करने से काम नहीं होगा।’’
सिंह से जब पूछा गया कि क्या वह भाजपा के सांसद पद से इस्तीफा देंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों का अनुकरण करेंगे जिन्होंने सत्तारूढ़ दल से संबंध तोड़ लिया है और जिनका भाजपा से मेलजोल है। उनका संदर्भ संभवत: तृणमूल कांग्रेस के क्रमश: कांथी और तामलुक से सांसद सिसिर अधिकारी और दिब्येंदु अधिकारी को लेकर था।
उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल के दो सांसद हैं...जिन्होंने अबतक इस्तीफा नहीं दिया है। उन्हें यह कदम उठाने दीजिए, उसके एक घंटे में इस्तीफा दे दूंगा।’’
तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि भाजपा नेता सुभेंदु अधिकारी के पिता सिसिर वर्ष 2021 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे और उनसे इस्तीफे की मांग की है।
सुभेंदु के छोटे भाई दिब्येंदु भी पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद से तृणमूल कांग्रेस से दूरी बनाए हुए हैं।
इस बीच, सिंह के तृणमूल में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने कहा कि ‘‘अवसरवादियों’’ के जाने से पार्टी पर असर नहीं होगा।

भाजपा नेता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘भाजपा विचाराधार पर आधारित पार्टी है। ऐसे लोगों जो सत्ता के करीब रहना पसंद करते हैं, उनके जाने से पार्टी के विकास पर कोई असर नहीं होगा।’’
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि सिंह का फैसला संभवत: तृणमूल कांग्रेस सरकार की ‘‘बदले की कार्रवाई’’से प्रेरित है, जिसने भाजपा में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज करवाए थे।
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के पूर्व अध्यक्ष घोष ने कहा, ‘‘कारोबारी होने के नाते उनके लिए तृणमूल प्रमुख के प्रति निष्ठा का वचन लिए बिना कार्य करना मुश्किल हो रहा था।’’
विपक्षी कांग्रेस और माकपा ने कहा कि यह घटनाक्रम साबित करता है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस एक सिक्के के दो पहलू हैं।
माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘ पहले तृणमूल कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हुए और अब उल्टा हो रहा है। यह दिखाता है कि दोनों पार्टियों की कोई विचारधारा नहीं है और वे एक ही सिक्के के महज दो पहलू हैं।’’
इसी तरह की राय रखते हुए कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा, बंगाल में ‘‘ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की साठगांठ’’ उजागर हो गई है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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