सरकार और माओवादियों के बीच ‘घमासान’ में पिस रहे छत्तीसगढ़ के बच्चे

Edited By ,Updated: 14 Feb, 2016 01:24 AM

between the government and the maoists fierce languishing in chhattisgarh s children

आज माओवाद या नक्सलवाद देश के लिए आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बन चुका है। पूरे देश में माओवादी हिंसा से सर्वाधिक क्षति छत्तीसगढ़ को उठानी पड़ी है।

आज माओवाद या नक्सलवाद देश के लिए आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बन चुका है। पूरे देश में माओवादी हिंसा से सर्वाधिक क्षति छत्तीसगढ़ को उठानी पड़ी है। यहां माओवाद ‘माफिया राज’ का रूप धारण कर गया है और छत्तीसगढ़ के प्रशासन तथा माओवादियों के बीच चल रहे एक तरह के ‘घमासान’ में यहां के बच्चे बुरी तरह पिस रहे हैं। 

 
यह सिद्ध करने के लिए कि यहां के लोग माओवादी हिंसा के विरुद्ध हैं, प्रशासन द्वारा पुलिस के साए तले स्कूली बच्चों की रैलियां निकलवाई जा रही हैं परंतु बच्चों के अभिभावकों पर माओवादी यह दबाव डाल रहे हैं कि वे अपने बच्चों को इनमें भाग लेने के लिए न भेजें।
 
माओवादियों के शक्तिशाली संगठन ‘दंडकारण्य स्पैशल जोनल कमेटी’ द्वारा हाल ही में बस्तर क्षेत्र में बांटे गए पोस्टरों के माध्यम से इलाके के लोगों से अपील की गई है कि ‘‘झूठे प्रचार से प्रभावित होकर आप लोग अपने बच्चों को ऐसी जनविरोधी रैलियों में न भेजें और न ही स्कूलों के प्रबंधक और अध्यापक बच्चों को इनमें जाने की अनुमति दें।’’
 
माओवादियों तथा सरकारी अधिकारियों में चल रहे इस ‘घमासान’ ने बच्चों के अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। वे समझ नहीं पा रहे कि किसका कहा मानें और किसका नहीं। उन्हें यह डर सताता रहता है कि माओवादी विरोधी रैलियों में भाग न लेने पर स्कूल के प्रबंधक उनके विरुद्ध कार्रवाई करेंगे।
 
इसका एक अन्य पहलू यह है कि एक ओर तो माओवादी बच्चों को अपने विरुद्ध रैलियों में जाने से रोक रहे हैं पर दूसरी ओर स्वयं  ‘विद्रोही योद्धा’ तैयार करने के लिए ग्रामीणों से उनके बच्चे छीन रहे हैं। कुल मिलाकर माओवादियों ने यहां ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जो भावी पीढ़ी के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत घातक सिद्ध हो सकती है।
 
इसका एकमात्र हल माओवादी समस्या का जड़ से उन्मूलन ही है। जिस प्रकार श्रीलंका सरकार ने सेना का इस्तेमाल करके मात्र 6 महीनों में ही अपने देश से लिट्टे आतंकवादियों का सफाया किया, उसी प्रकार भारत सरकार को भी नए-नए प्रयोग करने की बजाय सेना का इस्तेमाल करके इस समस्या से छुटकारा पाना चाहिए।        
 

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