लगातार खूनखराबा कर रहे माओवादियों के विरुद्ध भी होनी चाहिए ‘ सर्जिकल स्ट्राइक’

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2017 11:42 PM

urgical strikes against maoists should be

माओवादी देश के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं जिसकी सबसे अधिक मार आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र्र, उड़ीसा, झारखंड व बिहार झेल रहे हैं। इस समय ...

माओवादी देश के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं जिसकी सबसे अधिक मार आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र्र, उड़ीसा, झारखंड व बिहार झेल रहे हैं। इस समय माओवादी गिरोह न सिर्फ सरकार के विरुद्ध छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं बल्कि कंगारू अदालतें लगा कर मनमाने फैसले सुना रहे हैं तथा लोगों से जब्री वसूली, लूटपाट तथा हत्याएं भी कर रहे हैं।

10 राज्यों के 106 जिलों को इन्होंने अपनी लपेट में ले रखा है जिनमें से 35 जिले बुरी तरह प्रभावित हैं। इनकी ङ्क्षहसा के चलते 1 महीने में ही सिविलियनों तथा सुरक्षाबलों के कम से कम 18 सदस्यों के प्राण जा चुके हैं :

04 जनवरी को महाराष्ट्र के गढ़ चिरौली जिले के केकावाही गांव में आधा दर्जन माओवादी सुखराम नामक व्यक्ति को उसके घर से बुला कर जंगल में ले गए और उसकी हत्या कर दी। 05 जनवरी को भाकपा माओवादी के सदस्यों ने झारखंड में चतरा जिले के पथेल गांव में 2 ग्रामीणों को गोली मार कर मार डाला।

16 जनवरी को झारखंड के गोइलकेरा में माराश्रम गांव के निकट 2 बाइक सवार युवकों जिदन और सुरेश को घेर कर माओवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं जिससे दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। 22 जनवरी को झारखंड में गोला थाना के मुरपा गांव में माओवादियों ने ठाकुर दास महतो नामक एक ठेकेदार की गोली मारकर हत्या कर दी।

29 जनवरी को बिहार में जमुई जिले के पोछा गांव में नक्सलियों ने एक सड़क निर्माण कम्पनी के मुंशी संजय पांडे की हत्या कर दी और लाश के निकट एक पर्चा छोड़ गए जिसमें लिखा था,‘‘पार्टी के इलाके में बिना आदेश के पुलिस की मिलीभगत से सरकारी योजना के काम चालू करने वाले ठेकेदारों को यह सजा।-भाकपा माओवादी।’’

29 जनवरी को ही छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित सुकमा जिले में एक प्रैशर बम की चपेट में आने से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के हवलदार पारस नाथ सरोज शहीद हो गए और इसी दिन माओवादियों ने बिहार में डुमरिया के सोइया टांड में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी।

और अब 1 फरवरी को ओडिशा-आंध्र प्रदेश सीमा पर सुंकी घाट के निकट माओवादियों द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंग में विस्फोट होने से ओडिशा राज्य सशस्त्र पुलिस (ओ.एस.ए.पी.) के 7 जवान शहीद व 6 अन्य घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। एक जवान लापता बताया जाता है। ये सभी प्रशिक्षण के लिए विभागीय गाड़ी में कोरापुट से कटक जा रहे थे।

उल्लेखनीय है कि उड़ीसा में 2 सप्ताह बाद पंचायत चुनाव होने वाले हैं तथा माओवादियों ने राज्य के मलकानगिरी एवं अन्य उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में पंचायत चुनावों का बहिष्कार करने की काल दे रखी है।इसी दिन मणिपुर में मोरेह शहर से 21 किलोमीटर दूर लोकचाओ के पास तेंगनुपाल की ओर जा रहे पुलिस कर्मियों पर उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में 2 पुलिस कर्मियों की मृत्यु तथा 8 घायल हो गए।

उल्लेखनीय है कि सीमा पार से हो रही आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में तो हम असफल हैं ही, अपने ही घर में बैठे आतंकवादियों की गतिविधियों को रोकने में भी असफल सिद्ध हो रहे हैं। पहले तो भारतीय जनता पार्टी देश में बढ़ रहे आतंकवाद के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार पर दोषारोपण करती रहती थी परंतु अब तो इसे भी सत्ता में आए अढ़ाई वर्ष से अधिक समय हो गया है परंतु यह भी आतंकी गतिविधियां रोकने में असफल ही दिखाई देती है।

लगातार आतंकी गतिविधियों का जारी रहना भारतीय सुरक्षाबलों की चूक व हमारे रणनीतिकारों की ढुलमुल नीतियों का ही नतीजा है। अत: जिस प्रकार 28 सितम्बर, 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करके उनके 7 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया और 40 आतंकवादियों को मार गिराया था उसी प्रकार माओवादियों के अड्डों पर भी सर्जिकल स्ट्राइक करके उसी तरह इनका सफाया करने की जरूरत है जैसे श्रीलंका सरकार ने लिट्टे उग्रवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करके 6 महीने में ही अपने देश से उनका सफाया कर दिया था।          —विजय कुमार

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